गाज़ा पट्टी के दक्षिणी इलाकों में हाल ही में दो रातों तक जारी इजरायली हवाई हमलों ने भारी तबाही मचाई है। स्थानीय अस्पतालों और प्रशासन के मुताबिक, इन हमलों में 120 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इस भीषण हमले ने न केवल जनहानि की स्थिति पैदा की है, बल्कि गाज़ा का एकमात्र कैंसर अस्पताल भी पूरी तरह से बंद हो गया है, जिससे गंभीर बीमार मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल हो गया है।
गाज़ा के लोगों के लिए ये दो रातें भय, अनिश्चितता और अत्यंत पीड़ा लेकर आई हैं। स्थानीय लोग बमबारी की आवाज़ों से जागते, छुपते और अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में जुटे रहे।
“गाज़ा की जनता लंबे समय से संघर्ष और कष्ट सह रही है, पर अब हालात और भी बिगड़ गए हैं।” – स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी
हमलों का पैमाना और जनजीवन पर असर
इजरायली सेना ने गाज़ा के दक्षिणी हिस्सों को निशाना बनाते हुए कई क्षेत्रों में हवाई हमले किए। हर रात लगभग साठ हमलों की पुष्टि हुई है, जिनमें बम गिराने के कारण सैकड़ों मकान ध्वस्त हो गए हैं। इस हमले की वजह से हजारों लोग बेघर हो गए हैं और विस्थापन की स्थिति पैदा हो गई है।
अधिकारी बताते हैं कि हमले न केवल नागरिक इलाकों को निशाना बना रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों और सामाजिक संस्थानों को भी भारी नुकसान हुआ है। इससे सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
As per Gaza’s civil defence agency, Israeli strike kills 120 people in a recent attack@SaroyaHem reports pic.twitter.com/WAHmJn5Ss0
— WION (@WIONews) May 16, 2025
“हर बम गिरने के बाद डर और अनिश्चितता बढ़ती जाती है, लोग अपने घर छोड़कर भागने को मजबूर हैं।” – एक विस्थापित नागरिक
कैंसर अस्पताल का नुकसान: मरीजों की जिंदगी खतरे में
गाज़ा का एकमात्र कैंसर अस्पताल, जहां कई गंभीर मरीज अपना इलाज करवा रहे थे, इन हमलों में गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। अस्पताल की मशीनरी और उपकरण खराब हो गए हैं, जिससे इलाज ठप हो गया है।
डॉक्टरों का कहना है कि बिना इलाज के कई मरीजों की जान को गंभीर खतरा है। कीमोथेरेपी और रेडिएशन जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं अब संभव नहीं हो पा रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अस्पताल पर हमले की कड़ी निंदा की है और सभी पक्षों से अपील की है कि मानवीय संस्थाओं को निशाना न बनाया जाए।
“कैंसर के मरीज अब और भी कमजोर हो गए हैं, उन्हें अब तत्काल मदद की जरूरत है।” – WHO का बयान
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
“गाज़ा में जारी संघर्ष के बीच, शांति की पहलें भी हो रही हैं। इसी संदर्भ में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ शांति वार्ता की पेशकश की है और कश्मीर को वार्ता का मूल मुद्दा बताया है। यह दिखाता है कि क्षेत्रीय शांति के लिए संवाद कितना महत्वपूर्ण है।”
संयुक्त राष्ट्र, WHO और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने गाज़ा में बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने युद्धविराम की तत्काल मांग की है ताकि मानवीय राहत कार्य चल सके।
कुछ पश्चिमी देशों ने संयम बरतने की अपील की है, लेकिन राजनीतिक असहमति के कारण संघर्ष समाप्त नहीं हो पाया है।
“गाज़ा में हालात खतरनाक हो गए हैं, शांति की तत्काल जरूरत है।” – संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता
आम नागरिकों की स्थिति: विस्थापन और संघर्ष
हजारों परिवारों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं। वे राहत शिविरों में असहनीय हालात में रह रहे हैं। खाने-पीने, साफ़ पानी और दवाओं की कमी से उनकी समस्याएं बढ़ रही हैं।
एक विस्थापित महिला कहती हैं,
“हमारे बच्चे बीमार हैं, इलाज नहीं हो पा रहा, और हमें नहीं पता कब यह सब खत्म होगा।”
गाज़ा के लोगों की उम्मीदें और भविष्य
गाज़ा में जारी संघर्ष और हमलों ने स्थिति को भयंकर बना दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं का ठप होना, विस्थापन और मानवीय संकट इस क्षेत्र के लिए बड़े खतरे हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उम्मीद है कि वे जल्द हस्तक्षेप करेंगे और शांति स्थापित करेंगे।
“गाज़ा के लोग शांति और स्थिरता के लिए तरस रहे हैं।”
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