पंजाब सरकार ने सड़क हादसों को रोकने और जनजीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक वर्ष पूर्व “रोड सेफ्टी फोर्स” की शुरुआत की थी। अब सरकार का दावा है कि इस पहल से सड़क दुर्घटनाओं में भारी गिरावट आई है और हजारों जानें बचाई गई हैं। यह भारत में किसी राज्य द्वारा लागू की गई पहली स्वतंत्र सड़क सुरक्षा इकाई है, जिससे पूरे देश का ध्यान इस मॉडल की ओर गया है।
रोड सेफ्टी फोर्स: तकनीक और निगरानी का आधुनिक संगम
इस फोर्स की शुरुआत वर्ष 2023 में की गई थी, जो अब 144 विशेष वाहनों के साथ राज्य की मुख्य सड़कों और राजमार्गों पर सक्रिय है। ये वाहन अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों, ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रीडर कैमरों और GPS सिस्टम से लैस हैं। फोर्स के जवान सड़क पर संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी के साथ-साथ ओवरस्पीडिंग और गलत दिशा में चलने वाले वाहनों पर भी सख्त कार्रवाई करते हैं।
मुख्य उपलब्धियां: सरकार के अनुसार आंकड़ों की तस्वीर
पंजाब सरकार का दावा है कि इस एक साल की अवधि में रोड सेफ्टी फोर्स ने 2600 से अधिक लोगों की जान बचाई है। कुल 1000 से अधिक संवेदनशील सड़क स्थानों पर पेट्रोलिंग और निगरानी की गई। ओवरस्पीडिंग और ट्रैफिक नियम उल्लंघन करने वालों पर कुल 18 लाख से अधिक चालान जारी किए गए। इसके अलावा, फोर्स ने सड़क पर घायल व्यक्तियों को समय रहते अस्पताल पहुंचाने में भी बड़ी भूमिका निभाई।
SSF: On Duty,
From accident response and first aid ⛑️ to traffic control 🚦 and road safety awareness 📢—SSF is always on the move to protect lives on Punjab’s roads.
With dedication, discipline, and speed, SSF reaches wherever help is needed. 💪#SadakSurakhiyaForce pic.twitter.com/YW5LGHC57e
— Sadak Surakhiya Force (SSF) (@SadakSurakhiya) July 31, 2025
जनता और अफसरों की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने फोर्स की भूमिका की सराहना की है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर विवेक भारद्वाज ने कहा कि यह फोर्स केवल ट्रैफिक नियंत्रण नहीं बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। कई नागरिकों ने बताया कि सड़कों पर अब ज्यादा अनुशासन और सुरक्षा का अनुभव होता है।
देश के लिए उदाहरण बनता पंजाब मॉडल
सड़क सुरक्षा की दिशा में पंजाब सरकार की यह पहल अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सकती है। केंद्र सरकार की भी विभिन्न योजनाएं हैं, लेकिन राज्य स्तर पर ऐसी समर्पित फोर्स का होना एक बड़ी पहल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी अपनाया जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी कमी लाई जा सकती है।
राज्य सरकार द्वारा इस तरह की सजगता और निगरानी के उदाहरण पहले भी सामने आ चुके हैं, जैसे कि पठानकोट में अवैध खनन पर NGT की सख्ती और केंद्र को नोटिस भेजा जाना, जो पर्यावरण और सुरक्षा दोनों के लिए बेहद अहम मुद्दा है।
आगे की चुनौतियाँ और सुधार की संभावनाएं
हालांकि फोर्स की सफलता उल्लेखनीय रही है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं। जैसे कि – स्टाफ की संख्या में वृद्धि, ग्रामीण इलाकों में फोर्स की पहुँच और तकनीकी संसाधनों का विस्तार। साथ ही जनजागरूकता अभियानों को और अधिक प्रभावशाली बनाना होगा ताकि लोग स्वेच्छा से ट्रैफिक नियमों का पालन करें।
भविष्य की योजनाएं: विस्तार और स्मार्ट तकनीक की ओर
पंजाब सरकार अब रोड सेफ्टी फोर्स को और सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। आगामी महीनों में फोर्स के वाहनों में अत्याधुनिक AI-आधारित ट्रैफिक डिटेक्शन सिस्टम, ड्रोन निगरानी और स्मार्ट सिग्नलिंग सिस्टम लागू करने की योजना है। इसके अलावा, राज्य के अधिक से अधिक ग्रामीण इलाकों को इस नेटवर्क से जोड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है, जिससे सुरक्षा का दायरा व्यापक हो सके।
रोड सेफ्टी फोर्स की सफलता यह दर्शाती है कि यदि सरकार इच्छाशक्ति और आधुनिक संसाधनों का समुचित उपयोग करे तो सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। यह न केवल एक प्रशासनिक सफलता है, बल्कि जनता के जीवन की रक्षा करने वाला ठोस कदम भी है।
सुरक्षा की ओर बढ़ता पंजाब
रोड सेफ्टी फोर्स की सफलता यह दर्शाती है कि यदि सरकार इच्छाशक्ति और आधुनिक संसाधनों का समुचित उपयोग करे तो सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। यह न केवल एक प्रशासनिक सफलता है, बल्कि जनता के जीवन की रक्षा करने वाला ठोस कदम भी है।