हाल ही में एक बयान ने राजनीति और सोशल मीडिया दोनों में हलचल मचा दी। अभिनेत्री कंगना रनौत ने सार्वजनिक मंच से पंजाब में ड्रग्स के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए ऐसा कुछ कह दिया, जो पंजाब के नेताओं को नागवार गुजरा। इस बयान के बाद सियासत गर्मा गई और कई राजनीतिक चेहरों ने अभिनेत्री पर पलटवार किया।
कई लोगों ने इस बयान को राज्य की छवि के खिलाफ बताया, तो कुछ ने इसे एक “जनजागरूकता” की कोशिश बताया। लेकिन सबसे अहम बात यह रही कि इस बयान ने पंजाब और अन्य राज्यों के ड्रग्स मुद्दे पर एक बार फिर बहस छेड़ दी।
कंगना का बयान: भाव क्या था, सवाल क्या उठा?
कंगना रनौत ने कहा कि पंजाब का युवा वर्ग नशे की लत की चपेट में है, और इसके लिए सभी को मिलकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने अपने अंदाज में तीखी बात करते हुए कहा कि “पंजाब में ड्रग्स की समस्या बहुत गहरी है, और इससे वहां की नई पीढ़ी बर्बाद हो रही है।”
इस बयान को जहां कुछ लोगों ने सराहा, वहीं पंजाब के कई नेताओं ने इसे राज्य को बदनाम करने वाला करार दिया। सवाल यह भी उठा कि क्या किसी एक राज्य को टारगेट करना सही है, जबकि नशे की समस्या कई राज्यों में मौजूद है?
पंजाब मंत्रियों की प्रतिक्रियाएं: सियासी पारा क्यों चढ़ा?
कंगना के इस बयान पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री की ओर से आई। उन्होंने कहा कि यदि नशे की बात हो रही है तो पहले गुजरात जैसे राज्यों में जांच होनी चाहिए, जहां हाल के वर्षों में ड्रग्स की भारी मात्रा में बरामदगी हुई है।
एक अन्य मंत्री ने यह भी सवाल किया कि क्या कंगना अपने बयान के जरिए किसी विशेष राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा दे रही हैं। उनका कहना था कि पंजाब को सिर्फ ड्रग्स के नजरिए से देखना अनुचित है, और इस तरह के बयान राज्य की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हैं।
एक नेता ने तो अभिनेत्री को यह कहकर चुनौती भी दी कि अगर वे वाकई नशे के खिलाफ हैं, तो उन्हें हर राज्य के बारे में समान रूप से बोलना चाहिए।
Blaming Punjab for Himachal’s drug crisis is not just ignorance-it reveals BJP’s dangerous agenda to defame Punjabis and Sikhs.
MP @KanganaTeam ji, Punjab is a victim, not the source. Drugs worth ₹21,000 Cr were seized via Gujarat ports-key supply points for drugs entering all… pic.twitter.com/ICyEiovhT3
— Pargat Singh (@PargatSOfficial) July 25, 2025
बयानबाज़ी से सियासत तक: अलग-अलग दलों की रणनीति
इस पूरे विवाद के बाद सियासी दलों की बयानबाज़ी भी तेज हो गई। एक पक्ष ने कंगना के बयान को ‘सच बोलने की हिम्मत’ बताया, जबकि विपक्ष ने इसे “स्क्रिप्टेड” और “पक्षपातपूर्ण” करार दिया।
कई नेताओं ने कहा कि नशे की समस्या पूरे देश में है, और किसी एक राज्य को singled out करना गलत संदेश देता है। वहीं कुछ नेताओं ने इसे आगामी चुनावों से जोड़कर देखा और माना कि यह बयान रणनीतिक तौर पर दिया गया है ताकि एक खास नैरेटिव बनाया जा सके।
‘पहले गुजरात की जांच हो’: मुद्दे का रुख कैसे बदला?
पंजाब के एक प्रमुख मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर किसी को नशे पर चिंता है, तो सबसे पहले गुजरात की जांच होनी चाहिए। यह बयान सामने आते ही चर्चा का रुख बदल गया और सोशल मीडिया पर भी ‘गुजरात’ ट्रेंड करने लगा।
बहस इस बात पर पहुंच गई कि क्या ड्रग्स की समस्या को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संतुलित नज़रिए की जरूरत है? क्या एक ही राज्य को बार-बार टारगेट करना राजनीतिक पूर्वाग्रह का हिस्सा है?
इस वक्तव्य के बाद पूरे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया और कई लोग कहने लगे कि केवल बयानबाज़ी नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की ज़रूरत है।
पंजाब में नशे का सच: सरकारें क्या कर रही हैं?
पंजाब लंबे समय से नशे की समस्या से जूझ रहा है। भले ही आंकड़ों में गिरावट दिखाई देती हो, लेकिन ground reality अब भी चिंताजनक है। युवा पीढ़ी में नशे की प्रवृत्ति को रोकना सरकार की प्राथमिकता रही है।
पिछले कुछ वर्षों में कई rehab centers खोले गए हैं, awareness campaigns चलाए गए हैं, और पुलिस की कार्रवाई भी तेज़ हुई है। लेकिन एक सच यह भी है कि नशे के नेटवर्क बहुत मजबूत हैं और सीमाओं के पार से सप्लाई की जड़ें अब भी मौजूद हैं।
इसके बावजूद, पंजाब सरकार ने बार-बार यह दोहराया है कि राज्य को सिर्फ नशे के लिए नहीं जाना जाना चाहिए, बल्कि यहां के युवाओं की मेहनत, किसानों की ताकत और सांस्कृतिक विरासत को भी देखा जाना चाहिए।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
कंगना के बयान और पंजाब के मंत्रियों की प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ ने कंगना की बातों का समर्थन किया तो कुछ ने उन्हें ‘Uninformed’ और ‘Selective’ करार दिया।
युवाओं के एक वर्ग ने कहा कि अगर वाकई बदलाव लाना है तो राज्य विशेष पर निशाना साधने के बजाय पूरे देश में ड्रग्स के खिलाफ ठोस नीति बनाई जानी चाहिए। कुछ ने सवाल किया कि क्या बॉलीवुड की खुद की दुनिया नशे से अछूती है?
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि एक बयान कैसे राष्ट्रीय स्तर की बहस छेड़ सकता है।
जैसे हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए एक दिन में करोड़ों पौधारोपण जैसे अभियानों पर भी जनता का रुख तेजी से सामने आया था, वैसा ही रुझान इस विवाद में भी देखा गया।
विवाद से क्या सीख मिलती है?
इस पूरे विवाद से एक बात तो साफ है कि नशे की समस्या केवल एक राज्य की नहीं है, बल्कि पूरे देश की चुनौती है। कंगना रनौत का बयान और पंजाब मंत्रियों की प्रतिक्रिया—दोनों ने समाज में एक जरूरी संवाद की शुरुआत की है।
जरूरत इस बात की है कि मुद्दे को राजनीति या बयानबाज़ी तक सीमित न रखकर जमीनी स्तर पर कार्रवाई हो। हर राज्य को मिलकर काम करना होगा, और हर जिम्मेदार नागरिक को जागरूक रहना होगा।
आप क्या सोचते हैं?
क्या आपको लगता है कि किसी एक राज्य को बार-बार ड्रग्स के लिए टारगेट करना सही है? या क्या राष्ट्रीय नीति बनाकर सभी राज्यों में समान रूप से कार्रवाई होनी चाहिए?
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