संजय कपूर के निधन के बाद उनकी संपत्ति के बंटवारे को लेकर उठे विवाद ने बॉलीवुड और कानूनी जगत में हलचल मचा दी है। करिश्मा कपूर के बच्चे, जिनमें समायरा और किआन कपूर शामिल हैं, ने संजय कपूर की कथित वसीयत की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। विवाद का तूल तब पकड़ गया जब वसीयत में संजय कपूर के लिए स्त्रीलिंग सर्वनाम “she” और “her” का उपयोग पाया गया। इस विवाद को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई जारी है, और इसमें कई अनसुलझे सवाल और आरोप सामने आए हैं। इस लेख में इस पूरे मामले की प्रमुख जानकारियां, कानूनी पक्ष, और इस विवाद का परिवार तथा समाज पर प्रभाव विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
संजय कपूर और उनका परिवार
संजय कपूर बॉलीवुड की प्रसिद्ध कपूर खानदान से संबंध रखते थे। वे करिश्मा कपूर के पूर्व पति थे जिनसे उनका 2003 में तलाक हो गया था। संजय कपूर की तीन बड़ी संतानें हैं – समायरा, किआन और करिश्मा के साथ उनका एक बेटा। संजय कपूर की संपत्ति करोड़ों रुपए की है, जिसमें आलीशान घर, व्यापारिक हित और निवेश शामिल हैं। विवाद की मुख्य जड़ संजय कपूर की तीसरी पत्नी, प्रिया सचदेव कपूर से जुड़ी है, जिनपर करिश्मा कपूर के बच्चों ने मनी लॉन्ड्रिंग और जुआ खेलने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
A ₹30,000-crore legacy under dispute 💰
Karisma Kapoor’s children have moved the Delhi High Court, calling Sunjay Kapur’s will “forged” and “fabricated.” The family battle for inheritance deepens. ⚖️#LegalNews #DelhiHighCourt #KarismaKapoor #SunjayKapur #InheritanceBattle pic.twitter.com/gkSQt5z694— LawBeat (@LawBeatInd) October 10, 2025
वसीयत में स्त्रीलिंग सर्वनामों का उपयोग: क्या है विवाद?
अदालत में प्रस्तुत वसीयत में संजय कपूर को संदर्भित करने के लिए “she” और “her” जैसे स्त्रीलिंग सर्वनामों का प्रयोग हुआ है, जो कि असामान्य और विवादास्पद माना जा रहा है। करिश्मा कपूर के बच्चों का आरोप है कि यह वसीयत डिजिटल तरीके से संपादित की गई है, जिससे उसकी प्रामाणिकता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। इस वसीयत में कई तकनीकी और भाषाई त्रुटियां हैं, जैसे नामों और पतों की गलतियां, जिन पर वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने अदालत में भी जोरदार तर्क दिए हैं। इसके अलावा, वसीयत में संजय कपूर का हस्ताक्षर भी अनुपस्थित बताया जा रहा है। इस विवाद और कानूनी लड़ाई से जुड़ी विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें।
कानूनी लड़ाई और अदालत में सुनवाई की स्थिति
दिल्ली उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही है। करिश्मा कपूर के बच्चे वसीयत को फर्जी और कपटपूर्ण बताते हुए अदालत से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उनके वकीलों ने प्रिया सचदेव पर संपत्ति पर अनुचित दावे करने और परिवार को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए हैं। सुनवाई में कथित व्हाट्सएप चैट और अन्य डिजिटल साक्ष्यों को भी पेश किया गया है, जो इस मामले की गुत्थी सुलझाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। न्यायाधीश इस मामले में कड़ी पूछताछ कर रहे हैं और जल्द ही अहम फैसला आने की संभावना है।
विवाद का परिवार पर प्रभाव और सामाजिक प्रतिक्रिया
यह विवाद संजय कपूर के पूर्व परिवार के सदस्यों के बीच गहरे तनाव का कारण बना हुआ है। मीडिया में इस केस को व्यापक रूप से कवर किया जा रहा है, जिससे परिवार की निजी जिंदगी सार्वजनिक हो गई है। सामाजिक रूप से यह मामला उत्तराधिकार विवादों में एक उदाहरण बन चुका है, जो दर्शाता है कि कैसे एक परिवार में धन-संपत्ति की बांट को लेकर मतभेद बढ़ सकते हैं। आम जनता और फैंस भी इस विवाद को लेकर अपने विचार प्रकट कर रहे हैं, जो कि सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड कर रहा है।
उत्तराधिकार कानून पर प्रभाव और भविष्य की राह
ऐसे मामले कानून व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं और न्यायपालिका पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह विवाद संपत्ति और उत्तराधिकार कानूनों के दायरे को समझने और उसमें सुधार करने की जरूरत को उजागर करता है। भविष्य में ऐसे विवादों को रोकने के लिए वसीयत तैयार करने के मानकों को और सख्त किया जा सकता है ताकि संपत्ति विवादों से बचा जा सके।
पाठक प्रतिक्रिया
संजय कपूर की वसीयत विवाद केवल एक पारिवारिक झगड़े से अधिक है; यह एक कानूनी, सामाजिक और भावनात्मक मुद्दा है। इस लेख के माध्यम से पाठकों को स्थिति की स्पष्ट समझ मिलती है और वे इस पर अपनी राय साझा कर सकते हैं। कृपया इस विवाद और परिवार की भावनात्मक स्थिति को समझते हुए नीचे कमेंट्स में अपने विचार जरूर साझा करें।




















