पंजाब इन दिनों भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। लगातार हुई भारी बारिश और नदियों के उफान ने सैकड़ों गांवों को प्रभावित कर दिया है। हजारों परिवारों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया है और ग्रामीण इलाकों में पानी भरने से फसलें भी भारी नुकसान झेल रही हैं। इस संकट ने न केवल लोगों के घर उजाड़े हैं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी को भी ठप कर दिया है।
केजरीवाल का दौरा और सीएम मान की अनुपस्थिति
राज्य के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कारणों से दौरे पर नहीं जा सके, ऐसे समय में अरविंद केजरीवाल ने खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने गांव-गांव जाकर हालात का जायज़ा लिया, लोगों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि किसी भी परिवार को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। इस दौरान उन्होंने राहत कार्यों की गति और प्रशासन की तैयारियों का भी बारीकी से निरीक्षण किया।
“पूरा देश पंजाब के साथ” — संदेश का महत्व
अपने दौरे के दौरान उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “पूरा देश पंजाब के साथ खड़ा है।” यह संदेश केवल राजनीतिक बयान नहीं था बल्कि लोगों के दिलों को छूने वाला भाव था। बाढ़ जैसी आपदा में सबसे ज़रूरी है कि जनता को भरोसा मिले कि उनका दर्द पूरे देश का दर्द है। यही भाव एकजुटता को मजबूत करता है।
1988 के बाद 37 साल में पहली बार पंजाब इतनी भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है। लेकिन हमारी सरकार, मंत्री, विधायक, अधिकारी और हमारे वॉलंटियर्स दिन-रात लोगों की मदद करने और राहत कार्यों में लगे हुए हैं।
जो लोग गांव छोड़ने से इंकार कर रहे हैं उनके पास उनके घर तक मदद पहुँचाई जा रही है। राहत… pic.twitter.com/da3XhXhgbh
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 4, 2025
प्रभावित इलाकों का हाल
कई जिलों में हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। गाँवों के खेत पानी में डूब चुके हैं, घरों में कमर तक पानी भर गया है और लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ रही है। कुछ स्थानों पर तटबंधों पर दबाव इतना बढ़ गया कि प्रशासन को आपात स्तर पर मरम्मत कार्य करना पड़ा। किसान और मजदूर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं क्योंकि उनकी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और रोज़गार पर सीधा असर पड़ा है।
राहत कार्य और प्रशासन की भूमिका
प्रशासन ने बचाव दलों और राहत कर्मियों को प्रभावित गांवों में भेजा है। नावों और ट्रैक्टरों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है। स्कूलों और सामुदायिक भवनों को राहत शिविरों में बदला गया है जहां भोजन और दवाइयों की व्यवस्था की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने भी मोबाइल टीमों को सक्रिय कर दिया है ताकि पानी से फैलने वाली बीमारियों पर काबू पाया जा सके।
केंद्र और राज्यों से सहयोग
इस समय राज्य को न केवल अपनी आंतरिक संसाधनों की ज़रूरत है, बल्कि केंद्र से भी मदद मांगी गई है। आपदा प्रबंधन से जुड़ी एजेंसियाँ सक्रिय हैं और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सरकार की अपील है कि दूसरे राज्य भी मदद के लिए आगे आएं ताकि पंजाब जल्द सामान्य स्थिति में लौट सके।
जनता और सामाजिक संगठनों का योगदान
संकट की इस घड़ी में गुरुद्वारे, स्थानीय संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएँ भी आगे बढ़कर योगदान दे रही हैं। जगह-जगह लंगर चलाए जा रहे हैं, राहत सामग्री बांटी जा रही है और लोग सोशल मीडिया के जरिए मदद जुटा रहे हैं। यह सहयोग बताता है कि आपदा चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, इंसानियत हमेशा ज़िंदा रहती है।
आर्थिक और सामाजिक असर
बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। उनकी फसलें बर्बाद होने से कर्ज़ और बढ़ जाएगा। छोटे व्यापारियों के लिए भी स्थिति कठिन है क्योंकि बाज़ारों में पानी भरने से दुकानों का सामान खराब हो गया है। बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है और नौकरीपेशा लोगों को रोज़ाना सफर करने में दिक्कतें आ रही हैं।
भविष्य की चुनौतियाँ और तैयारी
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की आपदाएँ जलवायु परिवर्तन और अव्यवस्थित विकास का परिणाम हैं। आने वाले समय में राज्य को बेहतर ड्रेनेज सिस्टम, मजबूत तटबंध और टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी। साथ ही, लोगों में आपदा के समय सतर्कता और तैयारी की जागरूकता भी ज़रूरी है।
हाल ही में हमारी वेबसाइट पर “पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड में रेड अलर्ट” की खबर साझा की गई थी। उसमें बताया गया था कि भारी बारिश का असर किस तरह उत्तरी भारत पर पड़ रहा है। मौजूदा हालात उसी का विस्तार है, जहाँ अब नुकसान साफ नज़र आने लगा है और राहत कार्यों की ज़रूरत बढ़ चुकी है।
पाठकों से सवाल
पंजाब की इस त्रासदी ने हमें फिर से याद दिलाया है कि आपदा प्रबंधन केवल प्रशासन का काम नहीं, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है। अरविंद केजरीवाल का संदेश — “पूरा देश पंजाब के साथ है” — इस एकजुटता की मिसाल है।
आपकी राय क्या है? क्या आपको लगता है कि इस संकट से उबरने के लिए राज्य और केंद्र मिलकर तेज़ी से काम कर पाएंगे? अपने विचार कमेंट में ज़रूर लिखें।




















