केरल में पिछले कुछ हफ्तों से एक अजीब और खतरनाक बीमारी ने सबको डरा दिया है। ब्रेन-ईटिंग अमीबा नामक सूक्ष्म जीव के संक्रमण से अब तक एक महीने में पाँच लोगों की मौत हो चुकी है। मेडिकल भाषा में इस बीमारी को अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस कहा जाता है। यह दुर्लभ है, लेकिन एक बार शरीर में प्रवेश करने पर इसका इलाज बेहद मुश्किल हो जाता है।
इस घटना ने न सिर्फ राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर दिया है बल्कि आम लोगों के बीच भी डर और चिंता का माहौल बना दिया है।
ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्या है?
ब्रेन-ईटिंग अमीबा का वैज्ञानिक नाम Naegleria fowleri है। यह एक प्रकार का फ्री-लिविंग अमीबा है जो आमतौर पर गंदे या गुनगुने पानी में पाया जाता है।
- जब यह अमीबा इंसान के शरीर में नाक के रास्ते प्रवेश करता है, तो सीधा दिमाग तक पहुँच सकता है।
- वहां यह ब्रेन टिश्यू को नष्ट कर देता है और बहुत तेज़ संक्रमण पैदा करता है।
- इसी कारण इसे आम भाषा में ब्रेन-ईटिंग अमीबा कहा जाता है।
एक महीने में पाँचवीं मौत
केरल से ताज़ा खबर यह है कि 42 वर्षीय महिला की मौत इस संक्रमण से हो गई। यह एक महीने के अंदर पाँचवाँ मामला है, जिसने सबको हिला दिया है।
- इस साल अब तक 42 केस रिपोर्ट हो चुके हैं।
- इनमें से कई मरीज शुरुआती लक्षण पहचान न पाने के कारण देर से अस्पताल पहुँचे।
- स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है कि यह मामला अब गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले रहा है।
#WATCH | Thiruvananthapuram: On cases of amoebic meningoencephalitis in Kerala, state Health Minister Veena George says, “Since last year, we have had 86 cases which were reported. The mortality rate is 23-24%… I wanted to share the case of a 17-year-old student who was… pic.twitter.com/nShSDKnGIk
— ANI (@ANI) September 3, 2025
संक्रमण कैसे फैलता है?
यह अमीबा पानी से फैलता है, लेकिन खास तौर पर तब जब गंदा पानी नाक में चला जाए।
- तालाब, झील या पुराने पानी की टंकियों में यह ज्यादा पनपता है।
- लोग जब नहाने, तैरने या पानी से जुड़े कामों के दौरान लापरवाही करते हैं तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- पीने से यह बीमारी नहीं फैलती, बल्कि नाक से पानी के अंदर जाने पर अमीबा दिमाग तक पहुँच जाता है।
लक्षण और पहचान
इस बीमारी के लक्षण अचानक से सामने आते हैं और तेजी से बिगड़ते हैं।
शुरुआती लक्षण:
- तेज़ सिरदर्द
- बुखार
- मतली और उल्टी
बढ़ते लक्षण:
- उलझन और भ्रम
- शरीर में अकड़न
- दौरे पड़ना
- कोमा और मौत
सबसे बड़ी समस्या यह है कि शुरुआती लक्षण साधारण बुखार या माइग्रेन जैसे लगते हैं, जिससे लोग गंभीरता नहीं समझ पाते।
केरल में क्यों बढ़ रहा खतरा?
- मानसून के कारण पानी जमा होना
- गुनगुना और स्थिर पानी अमीबा के लिए अनुकूल
- स्विमिंग पूल और तालाब में साफ-सफाई की कमी
- ग्रामीण इलाकों में जागरूकता का अभाव
इन्हीं कारणों से केरल में यह बीमारी अचानक फैल रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बीमारी बहुत दुर्लभ है, लेकिन एक बार हो जाने पर मौत की संभावना बहुत अधिक होती है।
- संक्रमण तेज़ी से दिमाग को नुकसान पहुंचाता है।
- इलाज उपलब्ध होने के बावजूद survival rate बहुत कम है।
- जल्दी पहचान और तत्काल इलाज ही मरीज की जिंदगी बचाने का एकमात्र उपाय है।
बचाव के उपाय
चूंकि इसका इलाज बेहद कठिन है, इसलिए रोकथाम ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
- तालाब, झील और गंदे पानी में नहाने से बचें।
- नाक में सीधे पानी जाने से रोकें।
- घर की पानी की टंकियों की नियमित सफाई करें।
- जरूरत हो तो पानी को उबालकर इस्तेमाल करें।
सामाजिक और मानसिक असर
लगातार मौतों के बाद स्थानीय लोग दहशत में हैं।
- कई इलाकों में लोग बच्चों को तालाब या नदी में नहलाने से रोक रहे हैं।
- सोशल मीडिया पर अफवाहें भी फैल रही हैं, जिससे डर और ज्यादा बढ़ रहा है।
- इस समय जरूरत है कि सही जानकारी दी जाए और अफवाहों पर रोक लगे।
Amoebic meningoencephalitis claims another life in Keralahttps://t.co/7at1CbkYbv
— The Hindu (@the_hindu) September 6, 2025
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
केरल स्वास्थ्य विभाग ने अब स्थिति को गंभीर चुनौती मानते हुए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
- लोगों को सुरक्षित पानी इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है।
- अस्पतालों को अलर्ट किया गया है कि संदिग्ध लक्षण वाले मरीजों की तुरंत जांच हो।
- पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की योजना है।.
समाज में फैलते डर और अफवाहों को नियंत्रित करने के लिए केवल स्वास्थ्य मंत्रालय ही नहीं, सुरक्षा एजेंसियों ने भी कड़ी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। इसी संदर्भ में, नेपाल में हाल ही में जन Z (Gen Z) के विरोध प्रदर्शनों ने जोर पकड़ा, जहाँ काठमांडू में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया गया और भारत ने वहाँ अपने नागरिकों को “सावधानी बरतने” की एडवाइजरी जारी की थी—यह घटना हमारे पहले प्रकाशित आर्टिकल नेपाल जन Z विरोध प्रदर्शन लाइव अपडेट्स में विस्तार से दर्ज है।
निष्कर्ष
ब्रेन-ईटिंग अमीबा का संक्रमण बेहद दुर्लभ है, लेकिन एक बार होने पर जानलेवा साबित हो सकता है। केरल में एक महीने में पाँच मौतें होना चिंता का विषय है।
अब जरूरत है कि लोग खुद भी सावधानी बरतें और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
👉 आपका क्या मानना है? क्या लोग खुद सावधानी रखकर इस बीमारी से बच सकते हैं? अपने विचार नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें।




















