दिल्ली में सर्दी शुरू होते ही प्रदूषण ने फिर से कहर ढा दिया है। सुबह उठते ही आसमान पर घना धुंध का परत छाया रहता है, जिससे सूरज की रोशनी तक फीकी पड़ गई है। हवा में धूल, धुआं और जहरीले कणों की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है।
केंद्रीय मॉनिटरिंग स्टेशनों के मुताबिक, राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अब लगातार “गंभीर” श्रेणी में बना हुआ है। कई इलाकों में यह 480 तक पहुंच गया है — यानी सामान्य से करीब दस गुना ज़्यादा खराब।
विशेषज्ञ की सख्त चेतावनी: “अगर संभव हो तो कुछ समय के लिए दिल्ली छोड़ दें”
प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुए एक शीर्ष पल्मोनोलॉजिस्ट ने दिल्लीवासियों को चेतावनी दी है कि “अगर आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं, तो आने वाले 6 से 8 हफ्तों के लिए शहर छोड़ दें।”
डॉक्टर का कहना है कि मौजूदा हवा में मौजूद जहरीले तत्व फेफड़ों, आंखों और दिल पर सीधा असर डाल रहे हैं।
बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं इस प्रदूषण के प्रति सबसे संवेदनशील हैं।
उन्होंने कहा —
“इस समय दिल्ली की हवा सांस लेने योग्य नहीं है। अगर आपके पास विकल्प है, तो कुछ हफ्तों के लिए किसी साफ इलाके में चले जाना ही सबसे बेहतर होगा।”
सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन से बेहाल लोग
दिल्ली के अस्पतालों और क्लीनिकों में पिछले कुछ दिनों में सांस की तकलीफ, खांसी, गले में दर्द और आंखों में जलन की शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं।
डॉक्टरों के अनुसार,
- पिछले एक हफ्ते में अस्थमा और एलर्जी के मरीजों में लगभग 50% की वृद्धि हुई है।
- दिल के मरीजों को ऑक्सीजन लेवल में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
- बच्चों में लगातार खांसी और थकान जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या सिर्फ कुछ दिनों की नहीं बल्कि लंबे समय तक स्वास्थ्य पर असर डालने वाली है।
#WATCH | Delhi | On diseases due to rising pollution, Senior Consultant, Department of Pulmonology, Fortis Escorts Hospital, Dr Avi Kumar says, “Due to this Diwali season and the burning of the farm residues, the bio waste heating and burning, the pollution has risen in the post… pic.twitter.com/t93wI9wI6C
— ANI (@ANI) October 30, 2025
कैसे बढ़ी ये समस्या?
दिल्ली की हवा को जहरीला बनाने में कई कारण शामिल हैं —
- पराली जलाना,
- वाहनों का धुआं,
- निर्माण स्थलों की धूल,
- और मौसम की ठंडी हवा, जो प्रदूषण को ऊपर उठने नहीं देती।
हर साल अक्टूबर-नवंबर के बीच यही स्थिति दोहराई जाती है।
इस बार भी पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण दिल्ली की हवा में धुएं का अनुपात लगभग 35% तक पहुंच गया है।
दिल्ली के लिए यह दूसरा सबसे प्रदूषित अक्टूबर
मॉनिटरिंग एजेंसियों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में यह दूसरा सबसे प्रदूषित अक्टूबर रहा है।
राजधानी के कुछ हिस्सों जैसे आनंद विहार, द्वारका, रोहिणी और विवेक विहार में हवा की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि दृश्यता तक कम हो गई है।
कई इलाकों में तो PM 2.5 का स्तर WHO मानक से 15 गुना ज़्यादा पाया गया है।
सरकार ने कसी कमर, लागू हुआ GRAP-4 प्लान
दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चौथे चरण को लागू कर दिया है।
इसके तहत —
- निर्माण कार्यों पर रोक,
- ट्रकों की एंट्री बंद,
- स्कूलों के लिए छुट्टियों पर विचार,
- और सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम के सुझाव दिए जा रहे हैं।
इसके अलावा डीजल जनरेटर के इस्तेमाल और रोड डस्ट नियंत्रण पर भी सख्ती बढ़ा दी गई है।
दिल्ली में बढ़ता पलायन: सुरक्षित हवा की तलाश
दिल्ली में कई प्रोफेशनल्स और परिवार उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान जैसे इलाकों में अस्थायी रूप से शिफ्ट हो रहे हैं।
जो लोग घर से काम कर सकते हैं, वे “रिमोट लोकेशन वर्क” का विकल्प चुन रहे हैं।
कई परिवार अपने बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए कुछ हफ्तों के लिए दिल्ली से बाहर रहने का फैसला कर चुके हैं।
हालांकि, अधिकांश मजदूर वर्ग और स्थानीय कामगारों के लिए ऐसा करना संभव नहीं है।
उन्हें इसी प्रदूषण भरे माहौल में अपना काम जारी रखना पड़ता है।
लोगों के लिए सावधानी के उपाय
डॉक्टरों ने दिल्लीवासियों से अपील की है कि वे इस समय अपनी सेहत को प्राथमिकता दें।
मुख्य सुझाव इस प्रकार हैं –
- N95 या N99 मास्क का उपयोग करें।
- घर में एयर प्यूरिफायर या ग्रीन पौधे लगाएं।
- सुबह-शाम की सैर से फिलहाल बचें।
- बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को घर के अंदर रखने की कोशिश करें।
- भरपूर पानी पिएं ताकि शरीर में टॉक्सिन्स जमा न हों।
- खिड़कियों पर गीले पर्दे या कपड़े लगाने से धूलकणों को रोका जा सकता है।
क्या दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा?
प्रदूषण केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं, यह अब आर्थिक समस्या भी बन चुका है।
अध्ययनों के अनुसार –
- काम की उत्पादकता में गिरावट,
- बढ़ते स्वास्थ्य खर्च,
- स्कूल बंद होने से शिक्षा में रुकावट,
- और टूरिज्म में कमी,
इन सबका असर सीधे दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
अनुमान है कि प्रदूषण के कारण हर साल दिल्ली को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
ग्लोबल नजरिए से बढ़ती चिंता
दिल्ली लगातार दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल है।
यह न सिर्फ देश की राजधानी के लिए चिंता का विषय है बल्कि विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर भी असर डालता है।
कई वैश्विक कंपनियां अब कर्मचारियों को दिल्ली भेजने से पहले हेल्थ सेफ्टी कंडीशन पर विचार करती हैं।
यही नहीं, हाल ही में कई कंपनियों ने अपने वर्कप्लेस से जुड़ी नीतियों में बदलाव भी किया है —
जैसे चार बड़ी कंपनियों ने H1B स्पॉन्सरिंग बंद की — जिससे स्पष्ट होता है कि सेहत और पर्यावरण अब काम के नए मानक बन चुके हैं।
सरकार की चुनौतियां और जनता की उम्मीदें
दिल्ली सरकार हर साल नई योजनाएं लाती है — स्मॉग टावर, ग्रीन वॉल, इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचार, सड़क सफाई आदि।
लेकिन जमीन पर असर सीमित दिखाई देता है।
जनता का मानना है कि जब तक आसपास के राज्यों में पराली जलाना, उद्योगों का उत्सर्जन और पुराने वाहनों पर नियंत्रण नहीं होगा, तब तक कोई स्थायी सुधार नहीं हो सकता।
लोग चाहते हैं कि यह समस्या सिर्फ सर्दियों की सुर्खियों तक सीमित न रहे, बल्कि लंबी अवधि की नीति बनकर हल निकले।
क्या दिल्ली को “सांस लेने का अधिकार” मिलेगा?
दिल्लीवासियों का कहना है कि अब समय आ गया है जब सरकारों को यह स्वीकार करना होगा कि स्वच्छ हवा एक मौलिक अधिकार है।
सिर्फ चेतावनियां और एक्शन प्लान नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास और कड़ाई से अमल की जरूरत है।
अब चेतावनी नहीं, कार्रवाई का वक्त
दिल्ली की हवा आज इतनी जहरीली हो चुकी है कि सांस लेना एक चुनौती बन गया है।
डॉक्टरों की चेतावनी इस बार अनदेखी करने लायक नहीं है —
अगर संभव हो, तो कुछ हफ्तों के लिए साफ हवा वाले इलाके में समय बिताना ही समझदारी है।
बाकी लोगों के लिए जरूरी है कि वे सावधानी रखें, अपनी सेहत का ख्याल रखें और प्रदूषण रोकने में अपना छोटा सा योगदान जरूर दें।
क्योंकि आखिरकार, सांस लेने का हक़ ही सबसे बड़ा हक़ है।




















