बिहार में सियासी रण तैयार, आज बजेगी चुनावी घंटी
बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। राज्य में विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान आज शाम 4 बजे चुनाव आयोग करने जा रहा है। इसके साथ ही नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने अपने-अपने मोर्चे संभाल लिए हैं। इस बार का चुनाव न केवल सत्ता की लड़ाई है, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व और जनविश्वास की परीक्षा भी माना जा रहा है।
एनडीए की रणनीति: नीतीश-मोदी की जोड़ी फिर से कमर कसकर मैदान में
एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) इस चुनाव को पूरी मजबूती के साथ लड़ने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू और भाजपा ने मिलकर राज्य के हर जिले में रैलियों और जनसभाओं का सिलसिला तेज कर दिया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लगातार जनता के बीच जाकर “विकास और स्थिरता” को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। वहीं, जेडीयू का फोकस “सुशासन” की छवि को फिर से जनता तक पहुंचाने पर है।
सूत्रों के अनुसार, एनडीए इस बार अपने उम्मीदवारों की सूची में युवाओं और महिलाओं को ज्यादा जगह देने की योजना बना रहा है। भाजपा और जेडीयू दोनों का मानना है कि नए चेहरों और भरोसेमंद पुराने नेताओं का संतुलन चुनाव में जीत का रास्ता खोल सकता है।
इंडिया गठबंधन की तैयारी: तेजस्वी यादव का युवाओं पर दांव
दूसरी ओर इंडिया गठबंधन यानी महागठबंधन भी मैदान में पूरी तैयारी के साथ उतरा है। राजद के नेता तेजस्वी यादव ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत रोजगार, शिक्षा और किसान मुद्दों के साथ की है। कांग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर गठबंधन ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि “बदलाव ही बिहार का भविष्य है।”
तेजस्वी यादव लगातार युवाओं को संबोधित कर रहे हैं और बेरोजगारी को एनडीए सरकार की सबसे बड़ी विफलता बता रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार को अब “नई दिशा और नई सोच” की जरूरत है।
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Breaking!🚨
Two news from Bihar today :
1. CM Nitish Kumar will release ₹10,000 each to 21 Lakh women before 4 PM (already released to 75 Lakh)
2. Election Commission will announce Bihar election dates at 4 PM
Note : ECI is a independent agency 🤡
— Veena Jain (@Vtxt21) October 6, 2025
मुख्य मुद्दे: विकास बनाम विश्वास की जंग
बिहार चुनाव 2025 में विकास बनाम विश्वास का मुद्दा केंद्र में रहेगा। एनडीए जहां विकास योजनाओं और केंद्र की नीतियों को अपना हथियार बना रहा है, वहीं इंडिया गठबंधन बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सरकार को घेरने में जुटा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बिहार की जनता स्थिर सरकार बनाम नई उम्मीदों के बीच फैसला करेगी। जातीय समीकरण, क्षेत्रीय विकास और रोजगार जैसे पारंपरिक मुद्दे अब भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
चुनावी शेड्यूल पर नजर: चरणों में हो सकता है मतदान
सूत्रों के अनुसार, इस बार चुनाव आयोग बिहार में कम चरणों में मतदान कराने की संभावना जता रहा है। पिछली बार जहां चुनाव पांच चरणों में हुआ था, वहीं इस बार दो से तीन चरणों में प्रक्रिया पूरी हो सकती है।
सुरक्षा एजेंसियों ने राज्य के संवेदनशील जिलों में विशेष इंतजाम किए हैं। आयोग का कहना है कि मुक्त, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना प्राथमिकता है।
नेताओं की बयानबाज़ी से गर्माया माहौल
चुनावी तारीखों की घोषणा से पहले ही नेताओं के तीखे बयान सुर्खियों में हैं। भाजपा और राजद दोनों ओर से एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार, दलबदल और वादाखिलाफी के आरोप लग रहे हैं।
हालांकि, चुनाव आयोग ने सभी दलों को आचार संहिता के पालन की सख्त हिदायत दी है।
हाल ही में, राजनीतिक माहौल में तब और हलचल मच गई जब जम्मू-कश्मीर में भाजपा नेता द्वारा दिए गए बयान पर विवाद बढ़ गया था। इस पर कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। इस मुद्दे पर विस्तार से पढ़ें —
“आई लव मोहम्मद” बयान पर मचा बवाल, जेके भाजपा नेता का इस्तीफे की धमकी देना यूपी सीएम की टिप्पणी अस्वीकार्य
जनता की उम्मीदें: युवाओं, किसानों और महिलाओं की भूमिका अहम
इस बार बिहार चुनाव में युवाओं और महिलाओं की भूमिका बेहद अहम रहने वाली है। राज्य में 50% से ज्यादा मतदाता 40 वर्ष से कम आयु के हैं। यही वजह है कि दोनों गठबंधन अपने घोषणापत्र में युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा और स्टार्टअप योजनाओं को प्रमुखता दे रहे हैं।
किसानों की समस्याओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य में बाढ़, सूखा और फसल नुकसान जैसी स्थितियों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। इसलिए, किसानों की नाराजगी किसी भी दल के लिए चिंता का विषय बन सकती है।
पिछले चुनाव का संदर्भ: क्या दोहराएगी इतिहास खुद को?
पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बहुमत से जीत हासिल की थी, लेकिन उसके बाद राजनीतिक समीकरण कई बार बदले। नीतीश कुमार का राजद गठबंधन से अलग होना और फिर भाजपा के साथ सरकार बनाना, बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ साबित हुआ था।
इस बार जनता यह देखने को उत्सुक है कि क्या नीतीश फिर से अपनी लोकप्रियता को कायम रख पाएंगे या तेजस्वी यादव की नई ऊर्जा राज्य की राजनीति में बदलाव लाएगी।
सोशल मीडिया पर भी बढ़ी राजनीतिक सक्रियता
राजनीतिक दलों ने इस बार सोशल मीडिया को चुनावी प्रचार का सबसे प्रभावी माध्यम बना लिया है। ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम, और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर नेताओं की गतिविधियां तेज हो गई हैं।
एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों ने डिजिटल प्रचार के लिए विशेष टीम बनाई है, जो ऑनलाइन नैरेटिव सेट करने में अहम भूमिका निभा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार डिजिटल प्रचार भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा जितना मैदान का प्रचार।
चुनावी माहौल में मतदाताओं की सोच: विकास को प्राथमिकता
बिहार की जनता अब भावनाओं से ज्यादा विकास और रोजगार को प्राथमिकता दे रही है। लोगों का कहना है कि उन्हें अब ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो प्रदेश की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार व्यवस्था में सुधार ला सके।
ग्रामीण इलाकों में सड़क और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतें अब भी बड़ा मुद्दा बनी हुई हैं। वहीं शहरी मतदाता बेहतर रोजगार और आर्थिक अवसरों की मांग कर रहे हैं।
4 बजे की घोषणा तय करेगी सियासी दिशा
आज शाम 4 बजे जब चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान करेगा, तब से बिहार की सियासत में नई हलचल शुरू हो जाएगी।
एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ने अपनी रणनीति बना ली है, लेकिन जनता का मूड ही तय करेगा कि सत्ता की चाबी किसके हाथ में जाएगी।
चुनाव का यह सीजन केवल राजनीतिक दलों का नहीं बल्कि हर उस नागरिक का भी है जो बिहार के बेहतर भविष्य का सपना देखता है।
आने वाले दिनों में प्रचार अभियान तेज होगा, और बिहार एक बार फिर देश की राजनीति का केंद्र बनेगा।