उपराष्ट्रपति पद पर नए अध्याय की शुरुआत
भारत की लोकतांत्रिक यात्रा आज एक और महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच रही है। सीपी राधाकृष्णन आज शुक्रवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले इस शपथ ग्रहण समारोह को देशभर में एक ऐतिहासिक अवसर के तौर पर देखा जा रहा है। यह क्षण केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की निरंतरता और मजबूती का प्रतीक है।
सीपी राधाकृष्णन कौन हैं?
सीपी राधाकृष्णन, जिनका पूरा नाम चंद्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन है, लंबे समय से राजनीति और सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं। उनका जन्म तमिलनाडु में हुआ और उन्होंने अपनी शिक्षा भी यहीं पूरी की।
- शुरुआती दौर में उन्होंने सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई।
- भाजपा में शामिल होने के बाद उनका राजनीतिक करियर तेजी से आगे बढ़ा।
- वे दो बार लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं और पार्टी संगठन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं।
उनकी सादगी, साफ छवि और संगठनात्मक कौशल ने उन्हें हमेशा अलग पहचान दिलाई।
#WATCH | C.P. Radhakrishnan takes oath as the 15th Vice President of India. President Droupadi Murmu administers the Oath of Office to him.
(Video Source: DD) pic.twitter.com/I91ezMHd2w
— ANI (@ANI) September 12, 2025
उपराष्ट्रपति पद तक की यात्रा
राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर आसान नहीं रहा।
- 1998 और 1999 में वे कोयंबटूर से लोकसभा सदस्य चुने गए।
- कई बार चुनावी हार का सामना करने के बावजूद उन्होंने कभी पार्टी से दूरी नहीं बनाई।
- भाजपा के तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने संगठन को नई ऊर्जा दी।
राष्ट्रीय राजनीति में उनकी स्वीकार्यता और संगठनात्मक मजबूती को देखते हुए उन्हें एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया।
शपथ ग्रहण समारोह की खास बातें
राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले इस समारोह में देशभर की निगाहें टिकी होंगी।
- भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें शपथ दिलाएंगी।
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, विपक्षी दलों के नेता और कई राज्यपाल मौजूद रहेंगे।
- पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी इस समारोह में विशेष अतिथि रहेंगे।
यह आयोजन न केवल संवैधानिक प्रक्रिया है बल्कि लोकतंत्र की गरिमा का उत्सव भी है।
उपराष्ट्रपति पद का महत्व
भारतीय संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे ऊँचा संवैधानिक पद है।
- उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति भी होते हैं और सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से संचालित करना उनकी मुख्य जिम्मेदारी होती है।
- यदि राष्ट्रपति अनुपलब्ध हों या उनका पद रिक्त हो जाए, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाते हैं।
इस लिहाज से सीपी राधाकृष्णन का कार्यकाल आने वाले वर्षों में भारतीय संसद और राजनीति की दिशा तय करने में अहम साबित होगा।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और भविष्य की उम्मीदें
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और भविष्य की उम्मीदें
एनडीए द्वारा राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के कई राजनीतिक संकेत हैं। दक्षिण भारत से आने वाले नेता के रूप में उनका चयन राष्ट्रीय स्तर पर संतुलन लाने का प्रयास माना जा रहा है। विपक्ष की ओर से प्रतिक्रिया भले ही मिश्रित रही हो, लेकिन सभी दल इस पद की गरिमा को बनाए रखने की उम्मीद कर रहे हैं। हाल ही में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद भवन में मतदान ने इस पद की गंभीरता को और स्पष्ट कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि राधाकृष्णन का शांत स्वभाव और अनुभव राज्यसभा में विपक्ष और सरकार के बीच संवाद की नई राह खोलेगा।
- दक्षिण भारत से आने वाले नेता के रूप में उनका चयन राष्ट्रीय स्तर पर संतुलन लाने का प्रयास माना जा रहा है।
- विपक्ष की ओर से प्रतिक्रिया भले ही मिश्रित रही हो, लेकिन सभी दल इस पद की गरिमा को बनाए रखने की उम्मीद कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि राधाकृष्णन का शांत स्वभाव और अनुभव राज्यसभा में विपक्ष और सरकार के बीच संवाद की नई राह खोलेगा।
Met Thiru CP Radhakrishnan Ji and congratulated him on winning the Vice Presidential election.@CPRGuv pic.twitter.com/yb9pbgvKXj
— Narendra Modi (@narendramodi) September 9, 2025
जनता और युवाओं की उम्मीदें
युवा वर्ग और आम जनता, दोनों को ही इस पद से बड़ी अपेक्षाएं हैं।
- देश की युवा पीढ़ी चाहती है कि उपराष्ट्रपति संसद में उनके मुद्दों को अधिक मजबूती से उठाएं।
- शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर सकारात्मक संवाद की उम्मीदें बढ़ी हैं।
लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि आम जनता अपनी आवाज को नेताओं तक पहुंचता देखना चाहती है, और यह पद उसे संभव बनाता है।
लोकतंत्र का नया अध्याय
आज का दिन केवल शपथ ग्रहण का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक परंपरा को और मजबूत करने का दिन है।
सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना भारत की राजनीति में नए अध्याय की शुरुआत है।
उनसे उम्मीद है कि वे अपने अनुभव और संतुलित दृष्टिकोण से इस पद की गरिमा को और बढ़ाएंगे।