उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहे विशेष बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है। दो ऑटिस्टिक (विशेष आवश्यकता वाले) भाइयों के शरीर पर चोट और जलने के निशान पाए गए, जिससे परिजनों को गहरा संदेह हुआ। यह मामला तब उजागर हुआ जब दोनों भाई छुट्टियों में अपने घर लौटे और उनकी मां ने उनके व्यवहार और स्वास्थ्य में असामान्यता देखी।
“शरीर पर चोट के गहरे निशान और चुप्पी—एक गंभीर सच्चाई की ओर इशारा कर रहे थे।”
सिस्टम की चुप्पी: कब और कैसे सामने आया मामला
घर लौटने के बाद दोनों बच्चों के व्यवहार में अस्वाभाविक बदलाव देखा गया। छोटे बेटे के शरीर पर जलने जैसे निशान और मानसिक असहजता ने मां को चिंतित किया। परिवार ने तुरंत चिकित्सकीय जांच करवाई, जिसमें संभावित उत्पीड़न के संकेत मिले।
“बच्चों की खामोशी में छिपा था एक दर्दनाक सच।”
इसके बाद परिवार ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई और मामले की जांच प्रारंभ हुई।
देहरादून के बोर्डिंग स्कूल में दिव्यांग भाइयों से यौन शोषण… #dehradun pic.twitter.com/Rkxk6Cg0jP
— Khabar Uttarakhand (@KUttarakhand) June 2, 2025
किया गया अत्याचार: प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्य
शिकायत के अनुसार, बच्चों के साथ स्कूल में शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आई हैं। प्रारंभिक मेडिकल रिपोर्ट में बच्चों के शरीर पर चोट के निशान और जलन के संकेत मिले हैं।
“प्रारंभिक रिपोर्ट में बच्चों के साथ कठोर व्यवहार के प्रमाण मिले हैं।”
इन घटनाओं को देखते हुए प्रशासन ने स्कूल की कार्यप्रणाली और कर्मचारियों की भूमिका की जांच शुरू कर दी है।
परिवार की व्यथा: मां की प्रतिक्रिया
मां ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने बच्चों को विशेष देखभाल की उम्मीद में स्कूल भेजा था, लेकिन उन्हें वहां अपेक्षित सुरक्षा नहीं मिली।
“मां का भरोसा टूटना सिर्फ एक परिवार का नहीं, पूरे सिस्टम की विफलता का प्रतीक है।”
उन्होंने स्कूल प्रशासन से जवाबदेही की मांग की है।
पुलिस जांच व अब तक की कार्रवाई
पुलिस ने संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। एक कर्मचारी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है और अन्य लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।
“प्रारंभिक जांच में कुछ कर्मचारियों पर संदेह गहराया है।”
पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह कोई अलग-थलग घटना है या इसमें संस्थागत लापरवाही शामिल है।
स्कूल प्रशासन की भूमिका पर सवाल
स्कूल की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, जिससे मामले को लेकर शंका और गहराई है। यदि कर्मचारियों की लापरवाही साबित होती है, तो स्कूल की जिम्मेदारी भी तय होगी।
“संस्थान की चुप्पी, कई अनकहे सवाल खड़े करती है।”
कानूनी नजरिया: POSCO Act और बच्चों के अधिकार
मामले में POSCO एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा रही है। यह कानून नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं में सख्त सजा का प्रावधान करता है।
“POSCO एक्ट के तहत दोषियों को सख्त सजा का प्रावधान है।”
विशेष बच्चों के मामले में कानून और अधिक संवेदनशीलता की मांग करता है।
समाज और सिस्टम की जिम्मेदारी
इस घटना ने फिर साबित किया है कि केवल स्कूल भेज देना ही पर्याप्त नहीं है। माता-पिता और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
“नज़रअंदाज़ की गई छोटी बातें, बड़ी त्रासदी में बदल सकती हैं।”
संस्थाओं की नियमित निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
सवाल जो अब भी बाकी हैं
कई बार यह देखा गया है कि जब संस्थागत लापरवाही होती है, तो इसका असर सिर्फ एक मामले तक सीमित नहीं रहता। इसी तरह की एक घटना हाल ही में मेरठ में मुस्कान रस्तोगी मामले में भी देखने को मिली थी, जहां सवाल सिर्फ अपराध पर नहीं बल्कि समाज की चुप्पी पर भी खड़ा हुआ था।
“नज़रअंदाज़ की गई छोटी बातें, बड़ी त्रासदी में बदल सकती हैं।”
संस्थाओं की नियमित निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
पाठकों से अनुरोध:
आप इस घटना पर क्या सोचते हैं? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर दें। संवेदनशील मुद्दों पर आपकी जागरूकता समाज को बेहतर बना सकती है।