तेज प्रताप यादव का राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से निष्कासन सिर्फ एक पारिवारिक मामला नहीं रहा, बल्कि यह एक राजनीतिक बवंडर बन चुका है। बिहार की राजनीति में इस घटनाक्रम ने गहरी हलचल मचा दी है। तेज प्रताप यादव, जो कभी पार्टी के तेजस्वी के बाद दूसरा चेहरा माने जाते थे, अब अचानक ‘अंतरात्मा की आवाज़’ के नाम पर पार्टी से बाहर कर दिए गए।
RJD की ओर से इस कार्रवाई पर कोई बड़ा स्पष्टीकरण नहीं आया, लेकिन जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए लालू प्रसाद यादव की कथित नैतिकता को आड़े हाथों लिया है।
🔸 JDU का हमला: लालू की नैतिकता पर सीधा वार
JDU ने न केवल तेज प्रताप के निष्कासन को ‘राजनीतिक अवसरवाद’ बताया, बल्कि लालू यादव की पारिवारिक राजनीति पर भी गंभीर टिप्पणी की। पार्टी प्रवक्ता ने सीधे कहा:
“जब बहू ऐश्वर्या राय को घर से निकाला गया था, तब आपकी अंतरात्मा क्यों नहीं जागी थी?”
यह बयान ना केवल तीखा था, बल्कि यह लालू यादव के परिवार की पुरानी घटनाओं की ओर इशारा करता है, जब तेज प्रताप और उनकी पूर्व पत्नी ऐश्वर्या राय के रिश्तों में दरार आई थी और बात तलाक तक पहुंच गई थी।
- “तेज प्रताप की सज़ा सिर्फ इतनी कि उसने अपने रिश्ते को सार्वजनिक किया?”
- “अब नैतिकता की बात हो रही है, तब लालू जी चुप क्यों थे?”
#WATCH | Patna, Bihar: RJD chief Lalu Prasad Yadav expels his elder son, Tej Pratap Yadav, from the party for 6 years and also removes him from the family.
JDU leader Neeraj Kumar says, “Tej Pratap is Lalu Yadav’s son. This is not the first time he has shown indiscipline. Lalu… pic.twitter.com/WVnuv0e07n
— ANI (@ANI) May 26, 2025
🔹 तेज प्रताप और अनुष्का: रिश्ते का खुलासा बना मुद्दा
हाल ही में तेज प्रताप यादव ने अनुष्का यादव नाम की एक युवती के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक रूप से कबूल किया। सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से यह खबर तेजी से फैली, और इसके कुछ ही दिनों बाद उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
RJD ने इसे संगठनात्मक निर्णय बताया, लेकिन JDU का आरोप है कि यह निष्कासन केवल पारिवारिक छवि बचाने के लिए किया गया, ताकि तेज प्रताप द्वारा उठाई गई सच्चाइयों पर पर्दा डाला जा सके।
- “क्या RJD को डर था कि तेज प्रताप फिर से कोई पारिवारिक राज़ ना खोल दें?”
- “क्या रिश्ते की सच्चाई छिपाना पार्टी हित बन गया?”
🔸 दोहरे मानदंड? JDU ने उठाए सवाल
JDU का मानना है कि तेज प्रताप यादव को इसलिए निकाला गया क्योंकि उन्होंने वो सच्चाई उजागर कर दी जो परिवार को पसंद नहीं आई। साथ ही, उन्होंने यह भी पूछा कि जब तेज प्रताप और ऐश्वर्या के रिश्ते में दरार आई थी, और बहू को घर से निकाला गया था, तब पार्टी या परिवार ने कोई नैतिकता नहीं दिखाई थी।
JDU प्रवक्ता ने कहा: “लालू यादव की अंतरात्मा आज जागी है, लेकिन जब बहू को प्रताड़ित किया गया, तब वो अंतरात्मा गहरी नींद में थी।”
- “सियासत में नैतिकता अब राजनीति के हिसाब से आती-जाती है?”
- “तेज प्रताप को बलि का बकरा बनाया गया?”
🔹 तेज प्रताप का पक्ष: सच्चाई की सज़ा मिली
तेज प्रताप यादव ने अब तक इस मुद्दे पर कोई तीखा बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके हालिया इंटरव्यूज़ में गंभीर निराशा और भावनात्मक पीड़ा झलक रही है। उनका मानना है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया, सिर्फ अपने जीवन की एक सच्चाई को सबके सामने रखा।
“मैंने कोई अपराध नहीं किया, मैंने सिर्फ प्यार को अपनाया,” तेज प्रताप ने मीडिया से कहा।
- “मुझे सज़ा सिर्फ इसलिए मिली कि मैंने झूठ नहीं बोला?”
- “पार्टी में ईमानदारी की कोई जगह नहीं?”
No Lalu Yadav, it was not your morality and family values that led to Tej Pratap’s expulsion, it was the fear of losing votes in the upcoming Bihar elections (@JhaAjitk writes) https://t.co/lymRovpHrH pic.twitter.com/NUVqxQ16pA
— OpIndia.com (@OpIndia_com) May 26, 2025
🔸 JDU की रणनीति: लालू पर दबाव बढ़ाना या मुद्दा उठाना?
JDU द्वारा उठाए गए सवाल केवल आलोचना नहीं हैं, बल्कि यह भी एक राजनीतिक रणनीति मानी जा रही है। यह स्पष्ट है कि JDU तेजस्वी यादव की बढ़ती पकड़ और RJD के पारिवारिक संतुलन को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
लालू यादव की चुप्पी भी इस समय सवालों के घेरे में है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह चुप्पी कहीं पार्टी और परिवार के बीच के तनाव को और उजागर ना कर दे।
- “क्या JDU लालू के पुराने जख्म कुरेद रहा है?”
- “चुप्पी भी कभी-कभी बहुत कुछ कह जाती है”
🔹 तेज प्रताप का भविष्य: सहानुभूति या सियासी अकेलापन?
तेज प्रताप को लेकर अब बिहार की जनता के बीच एक सहानुभूति का माहौल भी बन रहा है। कई लोगों को लग रहा है कि पार्टी ने उन्हें ऐसे समय में निकाला जब उन्हें साथ की सबसे ज्यादा जरूरत थी। हालांकि, तेजस्वी यादव और लालू यादव की ओर से इस विषय में कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं आया है।
- “क्या तेज प्रताप नई सियासी राह चुनेंगे?”
- “या वे परिवार से जुड़ी सच्चाइयों को उजागर करते रहेंगे?”
🔸नैतिकता बनाम राजनीति, कौन जीतेगा?
लालू यादव पर JDU द्वारा किया गया हमला इस बात का संकेत है कि बिहार की राजनीति अब केवल विकास या जातीय समीकरण तक सीमित नहीं रह गई है। अब नैतिकता और पारिवारिक फैसलों पर भी राजनीतिक बहस छिड़ गई है।
तेज प्रताप यादव का निष्कासन केवल RJD की आंतरिक राजनीति नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक बहस बन चुका है—कि क्या सच्चाई बोलने वाला व्यक्ति राजनीति में जीवित रह सकता है?
- “सियासत में रिश्ते कब रणनीति बन जाते हैं, पता नहीं चलता”
- “तेज प्रताप गए, लेकिन सवाल अब भी जिंदा हैं”