जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर राज्य की नाजुक सुरक्षा स्थिति और राजनीतिक माहौल को सुर्खियों में ला दिया है। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए।
इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक भावुक और आत्ममंथन से भरा बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा –
“मेरे पास अब राज्य का दर्जा मांगने का चेहरा नहीं बचा है। पर्यटकों की सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी थी, लेकिन मैं उसे निभा नहीं सका।”
हमला कैसे हुआ?
यह हमला 10 अप्रैल 2025 की शाम उस समय हुआ जब एक निजी बस पहलगाम से श्रीनगर लौट रही थी। बस में अधिकतर सैलानी और कुछ स्थानीय लोग सवार थे। इसी दौरान अज्ञात आतंकियों ने बस पर अचानक गोलियां बरसाईं।
हमले में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हमला इतना अचानक और तेज था कि चालक बस को संभाल नहीं सका और बस सड़क किनारे रुक गई।
घटना के तुरंत बाद पुलिस और सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे और इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू किया।
हमले के तुरंत बाद पुलिस और सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू किया।
हमले के बाद प्रशासन ने कई अहम कार्रवाइयां की हैं, जिनकी विस्तृत जानकारी यहां पढ़ें।
उमर अब्दुल्ला का बयान – राजनीति से पहले जिम्मेदारी
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने साफ कहा कि इस दर्दनाक घटना के बाद अब उनका नैतिक अधिकार नहीं है कि वह केंद्र सरकार से राज्य का दर्जा वापस मांगे।
“मेरी राजनीति इतनी सस्ती नहीं है कि मैं इस त्रासदी का इस्तेमाल किसी राजनीतिक मांग के लिए करूं,”
– उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट में लिखा।
उन्होंने खुद को असफल मानते हुए कहा कि एक नेता होने के नाते उनकी जिम्मेदारी थी कि वे पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके।
The kind of positive statements that came from Omar Abdullah & Asaduddin Owaisi after the terrorist attack is heartening.
That is Bharat 🇮🇳 pic.twitter.com/gsL0pYqzEq
— Mr. Democratic (@Mrdemocratic_) April 28, 2025
सोशल मीडिया पर मिलीजुली प्रतिक्रिया
उमर अब्दुल्ला के इन ट्वीट्स को लेकर सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा हुई। कुछ लोगों ने उनकी ईमानदारी और संवेदनशीलता की तारीफ की, तो कुछ ने इसे कूटनीतिक चुप्पी और राजनीतिक कमजोरी बताया।
लोगों के बीच यह चर्चा भी गर्म रही कि आखिर इस हमले के पीछे कौन था और इसका उद्देश्य क्या था।
इस हमले के पीछे शामिल आतंकी नेटवर्क और उनकी मंशा पर यहां विस्तार से पढ़ें।
#PahalgamAttack और #OmarAbdullah जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे और लोगों ने सवाल उठाए कि आखिर कब तक आम नागरिक आतंकियों के निशाने पर रहेंगे।
जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
पिछले कुछ समय से सरकार यह दावा कर रही थी कि जम्मू-कश्मीर में हालात सुधर रहे हैं और पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही थी। लेकिन इस हमले ने उन दावों पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने हमले के बाद तलाशी अभियान तेज कर दिया है और पूरे इलाके में ड्रोन से निगरानी की जा रही है। पर्यटकों के लिए भी नई सुरक्षा गाइडलाइंस जारी की गई हैं।
हमले के बाद जिन आतंकियों पर शक है, उनमें से दो के घरों को विस्फोट से ध्वस्त किया गया है। इस कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं।
राज्य का दर्जा और नई राजनीतिक दिशा
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया था और इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। तब से ही उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य क्षेत्रीय दल राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करते रहे हैं।
लेकिन इस ताज़ा बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि अब राजनीतिक नेतृत्व जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की सोच रहा है।
#PahalgamTerrorAttack | J&K CM Omar Abdullah says, “I will not use this moment to demand statehood. After Pahalgam, with what face can I ask for statehood for Jammu and Kashmir? Meri kya itni sasti siyasat hai? We have talked about statehood in the past and will do so in the… pic.twitter.com/kZqXSRxLmY
— ANI (@ANI) April 28, 2025
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि उमर अब्दुल्ला का यह बयान उनकी छवि को एक संवेदनशील और ज़िम्मेदार नेता के रूप में मजबूत कर सकता है। हालांकि, यह बयान उनके राजनीतिक विरोधियों को उन पर हमला करने का मौका भी दे सकता है।
इस बयान से यह संदेश भी जाता है कि अब राजनीति केवल बयानबाजी से नहीं, ज़मीनी स्तर पर संवेदनशीलता और परिणामों से चलेगी।
निष्कर्ष: क्या आगे की राह आसान होगी?
पहलगाम आतंकी हमला सिर्फ एक सुरक्षा चूक नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक नेतृत्व के लिए चेतावनी है कि अब समय है संकल्प और संवेदनशीलता के साथ कार्य करने का। उमर अब्दुल्ला का आत्ममंथन और भावुक प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि राजनीति में अब जिम्मेदारी का युग लौट रहा है।
लेकिन सवाल अब भी वही है –
क्या सिर्फ बयानों से हालात बदलेंगे या अब समय है ठोस कदमों का?
📣 आपकी राय क्या है?
क्या आप उमर अब्दुल्ला के बयान से सहमत हैं?
क्या जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा मिलना चाहिए या पहले शांति जरूरी है?
नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें।