29 जुलाई 2025 का दिन संसद भवन में हलचल और बहसों से भरा रहा। मानसून सत्र के सातवें दिन का फोकस केवल विधायी कार्यों पर नहीं था, बल्कि एक ऐसे मुद्दे पर था जिसने पूरे देश को झकझोर दिया — पहलगाम आतंकी हमला और उसके जवाब में चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर।
देश की सुरक्षा से जुड़ी घटनाएं जब संसद के भीतर गूंजती हैं, तो ना सिर्फ नेताओं की, बल्कि आम जनता की भी निगाहें उन पर टिकी होती हैं। इस बार ऐसा ही हुआ, जब लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर विस्तृत बयान दिया।
🟢 अमित शाह का बयान लोकसभा में: ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार का पक्ष
लोकसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, विपक्ष की मांग पर गृह मंत्री अमित शाह ने खड़े होकर ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर सरकार का रुख साफ किया। शाह ने कहा,
“हर शहीद की शहादत का बदला लिया जाएगा। आतंक के आकाओं को माफ नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह योजनाबद्ध और खुफिया सूचनाओं पर आधारित था। आतंकी ठिकानों को टारगेट कर सेना ने सटीक कार्रवाई की।
अमित शाह के बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि इस ऑपरेशन में स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह केवल एक जवाबी कदम नहीं था, बल्कि आतंक के नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की दिशा में बड़ा क़दम था।
इससे पहले सुबह ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा भी लोकसभा में वक्तव्य देने की संभावना जताई गई थी, जिससे पूरे सत्र की गूंज और तीव्र हो गई।
#WATCH | During the discussion on Operation Sindoor in the House, Union Home Minister Amit Shah says, “When their Speakers were talking, we were listening to them patiently. I will inform you tomorrow how many lies have been told by them. Now they are not able to listen to the… pic.twitter.com/uhn6D8WKLd
— ANI (@ANI) July 28, 2025
🟢 विपक्ष का विरोध: कांग्रेस और TMC के तीखे तर्क
गृह मंत्री के बयान के बाद विपक्षी दलों ने संसद में सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा,
“मोदी सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि इतने बड़े आतंकी हमले की पूर्व जानकारी क्यों नहीं थी?”
TMC और DMK ने भी एक सुर में सवाल उठाए कि आखिर खुफिया तंत्र की विफलता पर कोई जवाबदेही तय क्यों नहीं हो रही। इसके अलावा लेफ्ट दलों ने सरकार से मांग की कि ऑपरेशन की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष को कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। यह साफ हो गया कि इस मुद्दे पर संसद में अभी लंबी बहस चलने वाली है।
🟢 ऑपरेशन सिंदूर: जवाबी कार्रवाई का पूरा खाका
पहलगाम हमला भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण क्षण था। जैसे ही हमला हुआ, सरकार ने तुरंत उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और NSA अजीत डोभाल के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति तैयार की गई।
इस ऑपरेशन में सेना, CRPF और स्थानीय पुलिस के संयुक्त प्रयास से तीन दिन में चार बड़े आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया गया। ड्रोन, थर्मल इमेजिंग, और रियल-टाइम इंटेलिजेंस का भरपूर उपयोग हुआ।
ऑपरेशन सिंदूर केवल जवाब नहीं था — यह भविष्य के खतरों के प्रति एक सख्त संदेश था। NSA डोभाल की निगरानी में ऑपरेशन को बहुत ही सटीक ढंग से अंजाम दिया गया, जिसमें न केवल आतंकियों को मार गिराया गया बल्कि उनका साजो-सामान भी जब्त किया गया।
🟢 पीएम मोदी और ट्रंप की भूमिका पर चर्चा
सत्र के दौरान कुछ सांसदों ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि पीएम मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई हालिया बातचीत से इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान भी आकर्षित हुआ है।
ट्रंप द्वारा मध्यस्थता की पेशकश पर विपक्ष ने सवाल उठाए — क्या भारत अब वैश्विक हस्तक्षेप को स्वीकार कर रहा है? हालांकि सरकार ने इसे “राजनयिक समर्थन” बताया, न कि मध्यस्थता।
#WATCH | During the discussion on Operation Sindoor in the House, Union Home Minister Amit Shah says, “…I have an objection that they (Opposition) don’t have faith in an Indian Foreign Minister but they have faith in some other country. I can understand the importance of… pic.twitter.com/Jd6MPLneg7
— ANI (@ANI) July 28, 2025
🟢 संसद सत्र के अन्य मुख्य बिंदु
जबकि ऑपरेशन सिंदूर चर्चा का केंद्र रहा, सत्र में अन्य अहम विषयों पर भी बात हुई। NCRB संशोधन बिल, दिल्ली की कानून-व्यवस्था, और उत्तराखंड बाढ़ राहत पर भी विपक्ष ने चर्चा की मांग की।
टीएमसी और कांग्रेस ने एक बार फिर Adani-Hindenburg मुद्दे को उठाने की कोशिश की, जिसे स्पीकर ने वर्तमान एजेंडे से बाहर बताया।
🟢 देश की सुरक्षा पर एकजुटता जरूरी
लोकसभा में भले ही मतभेद हों, लेकिन जब बात देश की सुरक्षा की आती है, तो सभी राजनीतिक दलों को एक स्वर में बोलना चाहिए।
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि ये जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश थी कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार है।
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