हिमाचल प्रदेश और पंजाब के कई जिलों में बीते दिनों हुई भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। नदियाँ उफान पर हैं, गांव जलमग्न हो चुके हैं और हजारों परिवार विस्थापित हुए हैं। सड़कों, पुलों और खेतों को व्यापक नुकसान पहुँचा है।
इसी बीच पीएम मोदी ने मंगलवार को दोनों राज्यों का दौरा शुरू किया। उनका यह दौरा न केवल हालात का जायजा लेने के लिए है, बल्कि यह भी दिखाता है कि केंद्र सरकार इस आपदा में पूरी मजबूती के साथ प्रभावित नागरिकों के साथ खड़ी है।
पीएम मोदी का हवाई सर्वे
प्रधानमंत्री ने हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले का हवाई सर्वे किया। इस दौरान उन्होंने क्षतिग्रस्त घरों, बह चुके पुलों और जलमग्न खेतों को देखा।
- पीएम मोदी ने प्रशासन को निर्देश दिए कि राहत और बचाव कार्यों को तेज़ किया जाए।
- पीड़ित परिवारों के पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक योजनाएँ बनाई जाएं।
- मेडिकल सुविधाएँ, स्वच्छ पेयजल और आवश्यक सामग्री की त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से स्पष्ट कहा कि “हर प्रभावित परिवार तक मदद पहुँचनी चाहिए, किसी को भी पीछे न छोड़ा जाए।”
पंजाब दौरे की तैयारियाँ
हिमाचल के बाद प्रधानमंत्री का अगला पड़ाव पंजाब है। यहां कई ज़िलों में फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं और ग्रामीण इलाकों में लोग अब भी सुरक्षित स्थानों पर आश्रय लिए हुए हैं।
राज्य प्रशासन ने प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए व्यापक इंतज़ाम किए हैं। लोगों को उम्मीद है कि उनकी मौजूदगी से राहत कार्यों को और गति मिलेगी तथा केंद्र की ओर से घोषित सहायता पैकेज जल्द लागू होगा।
प्रधानमंत्री मोदी 9 सितंबर को पंजाब दौरे पर, राज्य ने बाढ़ से ₹13,289 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया
Undertook an aerial survey to assess the situation in the wake of flooding and landslides in Himachal Pradesh. We stand firmly with the people in this difficult time and all efforts are being made to ensure continuous support to those affected. pic.twitter.com/Plryw5JDS0
— Narendra Modi (@narendramodi) September 9, 2025
केंद्र सरकार की भूमिका और मदद
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार हर संभव सहयोग देगी।
- आपदा राहत कोष से अतिरिक्त राशि जारी की जाएगी।
- NDRF और SDRF की टीमें बचाव और राहत कार्यों में दिन-रात जुटी हैं।
- प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी आश्रय स्थल और मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं।
- किसानों को विशेष राहत योजना के तहत मुआवज़ा देने की तैयारी है।
यह कदम इसलिए भी अहम हैं क्योंकि कृषि, पशुधन और स्थानीय व्यापार को व्यापक नुकसान पहुँचा है।
बाढ़ का असर: जनजीवन और अर्थव्यवस्था
बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
- कई गांव अब भी बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं।
- स्कूल और कॉलेज बंद हैं।
- छोटे व्यवसाय और दुकानें पूरी तरह ठप हो गई हैं।
- किसानों की साल भर की मेहनत पानी में बह गई है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस बाढ़ का असर आने वाले महीनों तक राज्य की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश में भारी बाढ़ और लैंडस्लाइड से प्रभावित कुछ लोगों से बातचीत की। उनकी पीड़ा के साथ ही त्रासदी से हुआ नुकसान मन को व्यथित करने वाला है। खराब मौसम का संकट झेल रहे हर व्यक्ति तक राहत और सहायता पहुंचे, इसके लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। pic.twitter.com/KfpyriuLwq
— Narendra Modi (@narendramodi) September 9, 2025
स्थानीय लोगों की आवाज़
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग अब भी अपने घरों और जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।
- कई परिवारों ने घर, जमीन और पशुधन खो दिया।
- बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए हैं।
- बुजुर्गों और बीमारों के लिए राहत शिविर ही सहारा बने हुए हैं।
हालांकि, प्रधानमंत्री की यात्रा और केंद्र सरकार की घोषणाओं ने उनमें एक नई उम्मीद जगाई है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री के दौरे पर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज़ है। विपक्ष ने राहत कार्यों की धीमी गति पर सवाल उठाए हैं, वहीं सामाजिक संगठनों ने इसे सराहनीय कदम बताया है।
कई स्वयंसेवी संगठन और स्थानीय एनजीओ प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, कपड़े और दवाइयाँ पहुंचाने में जुटे हुए हैं।
Leaving for Himachal Pradesh and Punjab to review the situation in the wake of floods and landslides. The Government of India stands shoulder to shoulder with those affected in this tragic hour.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 9, 2025
भविष्य की चुनौतियाँ और तैयारी
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बाढ़ केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि क्लाइमेट चेंज का भी संकेत है।
- पहाड़ी और नदी किनारे के क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढांचे की ज़रूरत है।
- जल प्रबंधन और चेतावनी प्रणाली को और उन्नत बनाना होगा।
- भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ जरूरी हैं।
यदि अभी से कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में ऐसी आपदाएँ और भी गंभीर रूप ले सकती हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा केवल प्रशासनिक कार्यवाही नहीं, बल्कि देश के नागरिकों के साथ भावनात्मक जुड़ाव का संदेश भी है।
उन्होंने स्पष्ट कहा है कि “केंद्र सरकार हर प्रभावित व्यक्ति तक मदद पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है”।
इस कठिन समय में जरूरी है कि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर सभी दल, संगठन और नागरिक एकजुट होकर पीड़ितों की सहायता करें। यही संदेश इस दौरे का सबसे बड़ा महत्व है।




















