राजनीति से परे एक संवाद की शुरुआत
देश की राजनीति में जहां अक्सर कटुता और आरोप-प्रत्यारोप का माहौल रहता है, वहीं कुछ घटनाएं उम्मीद की किरण बनकर सामने आती हैं। ऐसी ही एक सकारात्मक पहल देखने को मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की गुजरात यात्रा की सराहना की।
उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में अहमदाबाद स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और साबरमती रिवरफ्रंट का दौरा किया। उनकी इस यात्रा को पीएम मोदी ने एक सराहनीय कदम बताया और ट्वीट करते हुए लिखा – “Good to see this.” यह ट्वीट ना सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह इस बात का भी संकेत था कि संवाद की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है।
उमर अब्दुल्ला का गुजरात दौरा: यात्रा का सारांश
उमर अब्दुल्ला, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, ने गुजरात के प्रसिद्ध स्थलों का दौरा किया। उन्होंने सबसे पहले केवड़िया में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखा और फिर अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट का आनंद लिया।
अपनी यात्रा के दौरान उमर ने साफ तौर पर कहा कि यह उनका निजी निर्णय था, और वह भारत के अन्य हिस्सों को करीब से देखने के पक्षधर हैं। उनका मानना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को देश के अन्य क्षेत्रों के बारे में जानना, समझना और वहां की संस्कृति को महसूस करना चाहिए।
पीएम मोदी की सराहना: “Good to see” के मायने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उमर अब्दुल्ला की इस यात्रा पर सार्वजनिक रूप से सराहना व्यक्त की। उनके ट्वीट ने सभी का ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि एक तरफ़ वे सत्ताधारी पार्टी के मुखिया हैं और दूसरी ओर उमर अब्दुल्ला विपक्षी नेता।
इस छोटे से वाक्य – “Good to see this.” – के भीतर कई भाव छिपे थे। यह केवल एक यात्रा की सराहना नहीं थी, बल्कि यह एक संकेत था कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद संवाद और सराहना की संस्कृति जीवित है।
यह बिल्कुल उसी तरह का संदेश है जैसा हमने हाल ही में देखा करगिल विजय दिवस पर, जहां राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी दोनों ने एकजुटता के साथ वीरों को श्रद्धांजलि दी।
Kashmir to Kevadia!
Good to see Shri Omar Abdullah Ji enjoying his run at the Sabarmati Riverfront and visiting the Statue of Unity. His visit to SoU gives an important message of unity and will inspire our fellow Indians to travel to different parts of India. @OmarAbdullah https://t.co/MPFL3Us4ak pic.twitter.com/bLfjhC3024
— Narendra Modi (@narendramodi) July 31, 2025
उमर अब्दुल्ला का जवाब: ‘लोगों को मनाने की कोशिश कर रहा हूँ’
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया पर उमर अब्दुल्ला का जवाब भी उतना ही गरिमापूर्ण था। उन्होंने कहा:
“मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि भारत के बाकी हिस्से हमारे जैसे ही हैं। यहां की भी अपनी खूबसूरती और सोच है।”
उनका यह बयान इस ओर इशारा करता है कि वह अपने राज्य के नागरिकों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उनके मुताबिक़ भारत के विभिन्न हिस्सों को नज़दीक से देखने से दृष्टिकोण में परिवर्तन आता है और यह राष्ट्र की एकता के लिए जरूरी है।
संवाद और सहमति के संकेत: सियासत से आगे
आज जब भारतीय राजनीति में संवाद कम और टकराव ज्यादा होता जा रहा है, उस समय उमर अब्दुल्ला और पीएम मोदी के बीच यह सार्वजनिक संवाद एक प्रेरणादायक घटना है।
जहां एक ओर राजनेताओं के बीच तीखे बयान और नीतिगत मतभेद आम बात हो गई है, वहीं इस तरह की नरमी और संवाद की झलक इस बात की तस्दीक करती है कि राजनीति केवल विरोध तक सीमित नहीं है। यह घटना बताती है कि यदि इच्छाशक्ति हो, तो नेतृत्व की भाषा सम्मानजनक और राष्ट्रहित में हो सकती है।
While in #Ahmedabad for a tourism event I took advantage of being here to get my morning run at the famed Sabarmati River Front promenade. It’s one of the nicest places I’ve been able to run & it was a pleasure to get to share it with so many other walkers/runners. I even managed… pic.twitter.com/q9GbLcnDgz
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 31, 2025
यह यात्रा क्यों है खास: एक राष्ट्रीय उदाहरण
उमर अब्दुल्ला की यात्रा एक आम राजनीतिक दौरा नहीं थी। यह एक प्रतीक बनकर सामने आई — जिसमें एक क्षेत्रीय नेता राष्ट्रीय स्थलों की यात्रा कर रहा है, और उस पर देश के प्रधानमंत्री प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
यह पूरी प्रक्रिया हमें याद दिलाती है कि भारत एक संवाद आधारित लोकतंत्र है। यहां मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यदि उद्देश्य राष्ट्र की भलाई है, तो रास्ते हमेशा खुले रहते हैं।
निष्कर्ष: उम्मीद और समझ का संकेत
इस पूरे घटनाक्रम से कई सकारात्मक संदेश निकलते हैं —
- संवाद की शुरुआत किसी भी पक्ष से हो सकती है।
- राजनेताओं की व्यक्तिगत यात्राएं भी राष्ट्रीय संदेश दे सकती हैं।
- सार्वजनिक सराहना राजनीतिक गरिमा को दर्शाती है।
- सबसे महत्वपूर्ण बात – देश के अलग-अलग हिस्सों को एक-दूसरे के करीब लाना एक साझी जिम्मेदारी है।
यह घटना उन सभी के लिए एक उदाहरण है जो मानते हैं कि राजनीतिक मतभेद इंसानी जुड़ाव में बाधा नहीं बनना चाहिए।