उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने मेरठ में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक हथियार तस्कर को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। इस ऑपरेशन के दौरान STF को बड़ी मात्रा में अवैध हथियार और गोलियां भी बरामद हुई हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपी लंबे समय से हथियारों की तस्करी में लिप्त था और उसके तार राज्य के बाहर फैले एक बड़े नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।
STF को मिली थी खुफिया जानकारी
इस कार्रवाई की शुरुआत एक गोपनीय सूचना से हुई थी, जिसमें बताया गया था कि एक सक्रिय तस्कर मेरठ के पास हथियारों की डिलीवरी करने वाला है। सूचना मिलते ही STF ने तत्काल कार्रवाई की योजना बनाई। एक विशेष टीम का गठन किया गया जिसने क्षेत्र की निगरानी शुरू की और संदिग्ध की पहचान होते ही पीछा शुरू किया। इसी दौरान मुठभेड़ की स्थिति बनी, जहां STF ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई करते हुए आरोपी को दबोच लिया।
#Meerutpolice थाना सरूरपुर पुलिस द्वारा असलहा तस्कर से मुठभेड़। भारी मात्रा में असलाह और कारतूस बरामदगी के सम्बन्ध में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण की बाइट । #UPPolice @bstvlive @Republic_Bharat @AmarUjalaNews @DainikBhaskar @JagranNews @Live_Hindustan pic.twitter.com/TPD6COjd8a
— MEERUT POLICE (@meerutpolice) June 22, 2025
भारी मात्रा में बरामद हुए हथियार
आरोपी की तलाशी लेने पर STF को उसके पास से 70 AK-47 कारतूस, देसी कट्टे, एक पिस्तौल और अन्य हथियार मिले। इसके साथ ही कुछ संवेदनशील दस्तावेज और मोबाइल डिवाइस भी बरामद किए गए, जिनकी जांच एजेंसियां कर रही हैं। अधिकारियों के अनुसार, इतनी बड़ी मात्रा में हथियारों की बरामदगी इस बात का संकेत है कि आरोपी सिर्फ एक डिलीवरी ब्वॉय नहीं बल्कि एक नेटवर्क का अहम हिस्सा है।
गिरफ्तार आरोपी की पहचान और पृष्ठभूमि
गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान पश्चिमी उत्तर प्रदेश निवासी एक युवक के रूप में हुई है जिसकी उम्र करीब 30 वर्ष बताई जा रही है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी पहले भी इसी प्रकार के मामलों में संदिग्ध रह चुका है, लेकिन साक्ष्यों के अभाव में वह बच निकला था। STF का मानना है कि वह न सिर्फ हथियारों की तस्करी करता था, बल्कि उन्हें भाड़े पर बेचने का नेटवर्क भी संचालित करता था।
राज्य भर में फैला था नेटवर्क
जांच में यह खुलासा हुआ है कि आरोपी का नेटवर्क उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड और नेपाल बॉर्डर तक फैला हुआ है। हथियारों की आपूर्ति के लिए वह विशेष रूप से झारखंड और मध्य प्रदेश से अवैध रूप से हथियार मंगाता था और उन्हें मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़ और मुजफ्फरनगर जैसे इलाकों में सप्लाई करता था। इस नेटवर्क की मदद से वह राजनीतिक गुटों, गैंगस्टर्स और असामाजिक तत्वों को हथियार बेचता था।
सेना के जवान की भूमिका भी आई जांच के दायरे में
इस पूरे प्रकरण के बीच एक चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई कि हाल ही में एक सेना के जवान को भी अवैध हथियारों से जुड़े एक अन्य केस में गिरफ्तार किया गया था। जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या दोनों मामलों का आपस में कोई कनेक्शन है। सेना के जवान के पास से AK-47 के 70 कारतूस मिले थे, और जिस तरह की गोलियां STF ने मेरठ में बरामद की हैं, वह भी उन्हीं जैसी हैं।
STF ने कैसे रची थी योजना?
STF की इस सफल कार्रवाई के पीछे लंबी निगरानी और सूचनाओं का विश्लेषण शामिल था। पिछले कुछ महीनों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़ते अवैध हथियारों की घटनाओं के मद्देनज़र STF ने विशेष जांच अभियान शुरू किया था। मोबाइल ट्रैकिंग, कॉल रिकॉर्डिंग और लोकल इन्फॉर्मर्स की मदद से STF ने संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखी और आखिरकार इस बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया।
प्रशासन और STF अधिकारियों की प्रतिक्रिया
मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस ऑपरेशन से तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। आरोपी से मिली जानकारी के आधार पर अब आगे और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। STF के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अवैध हथियारों की तस्करी पर नियंत्रण पाने के लिए और अधिक ऑपरेशन किए जाएंगे और आम लोगों से भी अपील की गई है कि अगर किसी को संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।
समाज में ऐसे नेटवर्क का प्रभाव
अवैध हथियारों की तस्करी न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती देती है बल्कि समाज में अस्थिरता भी फैलाती है। इस तरह के नेटवर्क युवाओं को गुमराह करते हैं और आपराधिक गतिविधियों की ओर ढकेलते हैं। मेरठ जैसी जगहों पर लगातार हो रही इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि प्रशासन को और अधिक सक्रिय होकर कार्य करना होगा।
आम जनता की सतर्कता है जरूरी
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आम नागरिकों की सतर्कता कितनी महत्वपूर्ण है। यदि समय रहते पुलिस को जानकारी दे दी जाए, तो ऐसे कई अपराधों को रोका जा सकता है। लोगों को जागरूक होना होगा और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की जानकारी छिपाने की बजाय पुलिस तक पहुंचानी चाहिए।
जैसे दिल्ली-एनसीआर में हाल ही में हुई भारी बारिश के बीच भी प्रशासन और आम लोगों की सतर्कता ने कई मुश्किल हालातों को नियंत्रित करने में मदद की, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं। उसी तरह अवैध गतिविधियों के मामले में भी जन-सहयोग अहम होता है।
निष्कर्ष
मेरठ में हुई इस कार्रवाई से एक बार फिर यह स्पष्ट हुआ है कि STF और पुलिस प्रशासन मिलकर जब रणनीति बनाते हैं तो अपराधियों के मंसूबे कामयाब नहीं हो सकते। हथियार तस्करी जैसे गंभीर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कानून व्यवस्था को लगातार अपडेट और मजबूत करना जरूरी है।
आपका क्या मानना है – क्या हथियार तस्करी पर रोक लगाने के लिए वर्तमान कानून पर्याप्त हैं या इसमें और सख्ती की जरूरत है? कमेंट में जरूर बताएं।