ट्रंप ने अपने कार्यकाल में स्टील और एल्युमिनियम जैसी वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाए थे, ताकि घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाया जा सके। इन टैरिफों का तत्काल प्रभाव देखा गया — कुछ उद्योगों को लाभ मिला, जबकि अन्य क्षेत्रों में कीमतों में वृद्धि हुई।
आर्थिक जानकारों का मानना है कि टैरिफ ने बाजार में अस्थिरता तो लाई लेकिन कुछ स्थानीय उद्योगों को राहत भी दी। अमेरिका की तरह भारत भी अब रक्षा और औद्योगिक क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है। हाल ही में भारत सरकार ने 5वीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर प्रोजेक्ट को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए इंडस्ट्री पार्टनरशिप मॉडल लॉन्च किया है, जिससे यह साफ है कि वैश्विक स्तर पर हर देश अब रणनीतिक तकनीकों और घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता दे रहा है।
बाइडेन प्रशासन का तर्क है कि अब हालात बदल चुके हैं और टैरिफ का कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं रह गया है। हालांकि, यह बहस अब कानूनी दायरे में पहुंच चुकी है।
🟩 ट्रंप प्रशासन का पक्ष: ‘एजेंडा जिंदा है’
डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों ने इस निर्णय को एक बड़ी जीत बताया है। अदालत के इस फैसले के बाद ट्रंप ने इसे अपने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे की पुष्टि के रूप में पेश किया।
ट्रंप ने कहा कि उनका आर्थिक दृष्टिकोण अब भी “जिंदा और मजबूत” है। उन्होंने इस फैसले को देश की सुरक्षा और घरेलू उद्योगों के हित में बताया।
/”हमने जो कदम उठाए थे, वे सही थे और अदालत ने इसे मान्यता दी है,” ट्रंप का दावा।
ट्रंप के समर्थकों का मानना है कि यह फैसला आने वाले राष्ट्रपति चुनावों में उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे उनकी छवि एक मजबूत और निर्णय लेने वाले नेता की बनती है।
“The decision pauses the lower court’s decision until at least June 9, when both sides will have submitted legal arguments about whether the case should remain paused while the appeal proceeds.”
Tariffs put into place in 2018.
Oh the irony, Presidents have authority on Tariffs.… pic.twitter.com/ItpDnGubZB
— Derek Johnson (@rattletrap1776) May 30, 2025
🟩 व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया और सुप्रीम कोर्ट की तैयारी
बाइडेन प्रशासन ने इस फैसले को अस्वीकार किया है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अदालत का यह निर्णय “कानून और तथ्यों के विरुद्ध है।”
प्रशासन का मानना है कि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ अब अप्रासंगिक हो चुके हैं और उन्हें हटाना आर्थिक दृष्टि से बेहतर होगा।
व्हाइट हाउस – “हम न्याय प्रणाली में पूरा विश्वास रखते हैं, सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी जाएगी।”
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है।
🟩 न्यायिक निर्णय का कानूनी विश्लेषण
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को हटाने से पहले “राष्ट्रीय सुरक्षा” पर असर का गहन परीक्षण किया जाना चाहिए था।
कोर्ट के मुताबिक, जब तक पूरी प्रक्रिया नहीं होती, तब तक इन टैरिफ को हटाना अमेरिका के लिए जोखिम भरा हो सकता है। यही वजह है कि कोर्ट ने फिलहाल अस्थायी रोक लगाई है।
“कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना टैरिफ हटाना जल्दबाजी हो सकती है” — कोर्ट का बयान।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला तकनीकी और संवैधानिक आधारों पर टिका हुआ है, जो सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत बहस को जन्म देगा।
🟩 टैरिफ के पीछे की आर्थिक पृष्ठभूमि और प्रभाव
ट्रंप ने अपने कार्यकाल में स्टील और एल्युमिनियम जैसी वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाए थे, ताकि घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाया जा सके।
इन टैरिफों का तत्काल प्रभाव देखा गया — कुछ उद्योगों को लाभ मिला, जबकि अन्य क्षेत्रों में कीमतों में वृद्धि हुई।
आर्थिक जानकारों का मानना है कि टैरिफ ने बाजार में अस्थिरता तो लाई लेकिन कुछ स्थानीय उद्योगों को राहत भी दी।
बाइडेन प्रशासन का तर्क है कि अब हालात बदल चुके हैं और टैरिफ का कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं रह गया है। हालांकि, यह बहस अब कानूनी दायरे में पहुंच चुकी है।
🟩 राजनीतिक माहौल और ट्रंप का चुनावी मोर्चा
2024 के चुनावों की तैयारी कर रहे डोनाल्ड ट्रंप इस फैसले को एक राजनीतिक जीत के रूप में भुना रहे हैं।
उनकी टीम इसे बाइडेन प्रशासन की “कमजोर आर्थिक नीतियों” के खिलाफ एक सबूत के तौर पर प्रस्तुत कर रही है। वहीं विपक्ष इसे एक “न्यायपालिका के राजनीतिकरण” की कोशिश बता रहा है। ट्रंप ने इसे ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ की दिशा में एक और कदम बताया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले से ट्रंप को कुछ राज्यों में चुनावी बढ़त मिल सकती है, जहां टैरिफ का समर्थन ज्यादा है।
🟩आगे क्या?
अभी के लिए ट्रंप के टैरिफ को हटाने के फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी गई है, लेकिन कानूनी लड़ाई अभी बाकी है।
बाइडेन प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करेगा, और ट्रंप समर्थक इसे अपनी नीति की वैधता मानते हैं।
मुख्य बात:
अब अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करेगा – क्या यह ट्रंप नीति की वापसी का संकेत है या कानूनी प्रक्रिया की सामान्य चाल?
इस फैसले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि अमेरिका में नीतिगत फैसले अब केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि न्यायिक क्षेत्रों में भी गूंजते हैं।
🟨 📌 आप क्या सोचते हैं?
क्या यह फैसला ट्रंप की रणनीति को नई ताकत देगा? क्या सुप्रीम कोर्ट में बाइडेन प्रशासन बाजी पलट सकेगा? नीचे कमेंट कर अपनी राय जरूर साझा करें।