ऑपरेशन सिंदूर के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में कोलंबिया द्वारा पाकिस्तान के प्रति जताई गई सहानुभूति ने भारत में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस एकतरफा बयान पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि कोलंबिया जैसे मित्र देश से इस तरह के दृष्टिकोण की उम्मीद नहीं थी।
थरूर का कहना है कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर निष्पक्षता जरूरी है। एकतरफा बयान देने से दोनों देशों के संबंधों में दरार आ सकती है। उन्होंने साफ किया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकी ढांचे को निशाना बनाया था, न कि आम नागरिकों को।
कोलंबिया का UNHRC में बयान
कोलंबिया ने UNHRC में पाकिस्तान में मारे गए नागरिकों को लेकर चिंता जताई, लेकिन भारत के आतंकवाद विरोधी अभियान या उसकी भूमिका पर कोई टिप्पणी नहीं की। बयान में यह नहीं बताया गया कि भारत ने यह कार्रवाई आतंकवादी हमलों के जवाब में की थी।
भारत का मानना है कि कोलंबिया ने भारत की स्थिति को पूरी तरह नजरअंदाज किया, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि बयान केवल एक पक्षीय था। भारत सरकार को यह भी खटका कि कोलंबिया ने मानवीय पहलू पर बात की, लेकिन भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझने की कोशिश नहीं की।
Our Colombia visit got under way today with a briefing to the delegation from our Ambassador, Vanlalhuma, followed by a well-attended press interaction with more than a dozen local media outlets . I then did an interview with Colombian journalist Juan Camillo Ramirez. Getting the… pic.twitter.com/yMHRrn96CN
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) May 29, 2025
थरूर की संतुलित लेकिन तीखी प्रतिक्रिया
शशि थरूर ने साफ कहा कि कोलंबिया को भारत की तरफ से भी जानकारी लेनी चाहिए थी। उनका यह भी कहना था कि “अगर कोई देश किसी मित्र राष्ट्र को बिना जाने-समझे दोषी ठहराए, तो यह उचित नहीं है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कोलंबिया को अपने रुख में संतुलन बनाए रखना चाहिए था, और ऐसे मुद्दों पर कूटनीतिक संवेदनशीलता जरूरी होती है। थरूर ने यह बात संसद में भी उठाई और विदेश मंत्रालय से कोलंबिया से जवाब मांगने की अपील की।
दरअसल, इससे पहले भी थरूर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रह चुके हैं, जब उन्होंने कट्टर सोच रखने वालों को लेकर “For those zealots…” बयान दिया था, जिससे कांग्रेस के भीतर भी बहस छिड़ गई थी। यह दिखाता है कि थरूर ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मसलों पर बल्कि घरेलू राजनीति में भी स्पष्ट और मुखर रुख रखते हैं।
भारत सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और कोलंबिया से स्पष्टीकरण की मांग की है। विदेश मंत्रालय ने कूटनीतिक स्तर पर कोलंबिया से संपर्क कर बयान की पृष्ठभूमि पूछी है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने कहा कि उसकी कार्रवाई सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ थी, और इस तरह के बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत संदेश देते हैं। भारत ने यह भी साफ किया कि वह सभी मित्र राष्ट्रों से निष्पक्ष और तथ्य आधारित रुख की अपेक्षा करता है।
कोलंबिया की सफाई, लेकिन बयान वापस नहीं
कोलंबिया के विदेश मंत्रालय ने बाद में बयान जारी करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी केवल मानवीय चिंता को लेकर थी और उनका उद्देश्य किसी देश विशेष को कटघरे में खड़ा करना नहीं था।
हालांकि, कोलंबिया ने अपना बयान वापस नहीं लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह अपने कहे पर कायम है। उन्होंने यह जरूर कहा कि वे भारत के साथ अपने संबंधों को महत्व देते हैं और संवाद के लिए खुले हैं।
Colombian Govt expressed heartfelt condolences on the loss of lives (of terrorists) in Pakistan after the Indian strikes.
Shashi Tharoor goes to Colombia and said, “We are disappointed with the Colombian govt…..”
Chad move 🔥🔥🔥pic.twitter.com/tC5fqlUM1g
— Incognito (@Incognito_qfs) May 30, 2025
राजनीतिक और जन प्रतिक्रियाएं
कई भारतीय सांसदों ने थरूर की बात का समर्थन किया और कोलंबिया के बयान को एकतरफा करार दिया। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने काफी हलचल मचाई।
कुछ लोग भारत सरकार के शांत और संयमित रुख की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भारत को और कड़ा जवाब देना चाहिए था। यह विवाद अब आम लोगों की समझ और सोच का भी हिस्सा बनता जा रहा है।
आगे का रास्ता
यह पूरा मामला दर्शाता है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने हितों को लेकर ज्यादा सजग हो चुका है। शशि थरूर की प्रतिक्रिया भी इसी बदलती सोच का संकेत है।
भारत को चाहिए कि वह अपने मित्र देशों से संवाद बनाए रखे, लेकिन साथ ही अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के मुद्दों पर समझौता न करे। कोलंबिया के साथ यह विवाद लंबा न खिंचे, इसके लिए दोनों देशों को पारस्परिक संवाद की आवश्यकता है।
यह घटनाक्रम यह भी दिखाता है कि आज के दौर में हर अंतरराष्ट्रीय बयान की गंभीरता से समीक्षा की जाती है, और भारत अब सिर्फ सुनने वाला नहीं, जवाब देने वाला देश बन चुका है।