देश की सर्वोच्च न्यायपालिका को आज तीन नए न्यायाधीश मिले हैं। न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया, विजय बिश्नोई और एएस चंदूरकर ने शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सादे समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। यह नियुक्तियाँ देश की न्याय व्यवस्था को और अधिक मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं।
इन तीनों जजों की नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट में अब न्यायाधीशों की संख्या 34 हो गई है, जो कि भारत के संविधान के तहत तय अधिकतम सीमा है। न्यायपालिका में इन नई नियुक्तियों से केसों की सुनवाई में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है।
राष्ट्रपति भवन में हुआ शपथ ग्रहण समारोह
राष्ट्रपति भवन के भव्य दरबार हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कई उच्च पदाधिकारी और वरिष्ठ न्यायाधीश मौजूद रहे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों न्यायाधीशों को उनके पद की शपथ दिलाई। समारोह के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ भी उपस्थित रहे और उन्होंने नए जजों का स्वागत किया।
शपथ ग्रहण समारोह को सादगीपूर्ण लेकिन गरिमामय तरीके से आयोजित किया गया। इसमें कोई विशेष औपचारिकताएं नहीं रहीं, लेकिन न्यायपालिका के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण रहा। तीनों जजों ने भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हुए अपने दायित्वों को निभाने का संकल्प लिया।
Justices NV Anjaria, Vijay Bishnoi and Atul S Chandurkar sworn in as Supreme Court judges.
The Chief Justice of India, B. R. Gavai, administered the oath to the judges at a ceremony in the apex court premises. pic.twitter.com/7WyOLrUP5U
— All India Radio News (@airnewsalerts) May 30, 2025
कोलेजियम की सिफारिश पर बनी नियुक्ति की सहमति
सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें कोलेजियम प्रणाली के तहत नामों की सिफारिश की जाती है। इस बार सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 21 मई को इन तीन नामों की सिफारिश की थी, और राष्ट्रपति द्वारा इसे 24 मई को मंजूरी दे दी गई। सिर्फ तीन दिनों के भीतर यह पूरी प्रक्रिया सम्पन्न हो गई, जो कि काफी तीव्र मानी जा रही है।
इस तेज़ कार्रवाई को लेकर न्यायिक हलकों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार और न्यायपालिका दोनों ही न्यायिक प्रक्रिया में सुधार और तीव्रता के पक्षधर हैं।
तीनों नए जज: जानिए किस कोर्ट से आए हैं
तीनों नए न्यायाधीश देश के अलग-अलग उच्च न्यायालयों से आए हैं और उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण न्यायिक कार्य किया है।
- न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया गुजरात उच्च न्यायालय से आए हैं। वहाँ उन्होंने संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों में कई अहम फैसले दिए हैं।
- न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई राजस्थान उच्च न्यायालय में कार्यरत थे और वे जनहित याचिकाओं व आपराधिक मामलों में सशक्त भूमिका निभाते रहे हैं।
- न्यायमूर्ति एएस चंदूरकर बॉम्बे हाईकोर्ट से आए हैं और उन्होंने सिविल, सेवा व वाणिज्यिक मामलों में गहरी समझ दिखाई है।
तीनों जजों की नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट को क्षेत्रीय विविधता और विषयगत विशेषज्ञता दोनों में मजबूती मिलेगी।
Swearing-in ceremony of three Supreme Court judges
Justice NV Anjaria, Chief Justice of the Karnataka High Court
Justice Vijay Bishnoi, Chief Justice of the Gauhati High Court.
Justice Atul S Chandurkar from Bombay High Court#SupremeCourt #SwearingIn pic.twitter.com/gseAkNrj73
— Bar and Bench (@barandbench) May 30, 2025
सुप्रीम कोर्ट की मौजूदा स्थिति
नए जजों की नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट अब अपनी अधिकतम न्यायाधीशों की संख्या पर पहुंच गया है, यानी अब वहाँ कुल 34 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जो कि संविधान के तहत अनुमत अधिकतम सीमा है। इससे पहले कुछ पद रिक्त थे, जिसकी वजह से मामलों की सुनवाई में देरी हो रही थी।
अब इन नियुक्तियों से अपेक्षा की जा रही है कि लंबित मामलों का तेजी से निपटारा होगा और आम जनता को न्याय मिलने की प्रक्रिया में सुधार आएगा। सुप्रीम कोर्ट अब पहले से अधिक सक्षम और सक्रिय रूप में काम कर सकेगा। देश की संस्थाओं और उनके योगदान से जुड़ी अन्य उपलब्धियों की बात करें तो हाल ही में घोषित पद्म पुरस्कार 2025 की पूरी सूची भी इसी दिशा में प्रेरणा देने वाली रही है, जहां अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया गया।
सुप्रीम कोर्ट अब पहले से अधिक सक्षम और सक्रिय रूप में काम कर सकेगा।
न्यायपालिका को मिला नया बल
इन नई नियुक्तियों को सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि यह न्यायपालिका में नए उत्साह, अनुभव और विशेषज्ञता के आगमन का संकेत भी देती हैं। तीनों जजों की कार्यशैली, निष्पक्षता और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को देखते हुए माना जा रहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इन नियुक्तियों से न सिर्फ अदालतों पर दबाव कम होगा, बल्कि न्याय पाने की गति भी तेज होगी।
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