शुक्रवार की सुबह पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब जिले में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक पटाखा फैक्ट्री में अचानक जोरदार धमाका हुआ। स्थानीय लोगों के मुताबिक, धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आस-पास के इलाकों में घरों की खिड़कियां तक हिलने लगीं।
कुछ ही मिनटों में फैक्ट्री से गाढ़े धुएं का गुबार उठता हुआ नजर आया, और आग की लपटें आसमान को छूने लगीं। लोग घबराकर सड़कों पर निकल आए। तुरंत राहत और बचाव टीमें मौके पर भेजी गईं।
मौत का मंजर – चार जानें गईं, कई जिंदगी से जूझ रहे
धमाके के चलते फैक्ट्री में काम कर रहे चार मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई।
कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
डॉक्टरों की मानें तो कुछ घायलों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, क्योंकि आशंका जताई जा रही है कि मलबे के नीचे कुछ और लोग दबे हो सकते हैं।
मुक्तसर साहिब में लंबी के गांव सिंघेवाला में पटाखा फैक्ट्री में धमाका… 4 लोगों की मौत और करीब 27 मजदूर गंभीर घायल… फैक्ट्री में पटाखे बनाने का काम UP के हाथरस निवासी ठेकेदार राज कुमार के अंतर्गत होता था, जो फरार है… #PunjabNews #PunjabCrackersFactory #Punjabblast #Muktsar pic.twitter.com/BDkMSxANCT
— Amit sharma (@editor_amit) May 30, 2025
फैक्ट्री के पीछे की कहानी – लाइसेंस और सुरक्षा मानकों पर सवाल
प्रशासन के मुताबिक, धमाका किस वजह से हुआ, इसका पता लगाया जा रहा है।
लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या इस फैक्ट्री के पास पटाखे बनाने और स्टोर करने का वैध लाइसेंस था?
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह फैक्ट्री पहले भी विवादों में रह चुकी है, और कई बार इसकी शिकायत की गई थी कि यहाँ सुरक्षा मानकों की अनदेखी होती है। फिर भी इसे चलने की अनुमति कैसे दी गई, ये एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है।
प्रशासन की कार्यवाही – जांच के आदेश और एहतियाती कदम
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं।
जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और जरूरी दस्तावेज़ों की जांच शुरू की।
घायलों के इलाज के लिए विशेष मेडिकल टीम गठित की गई है।
इलाके को पूरी तरह सील कर दिया गया है, ताकि सबूतों के साथ छेड़छाड़ न हो सके।
आंखों देखी – “मानो ज़मीन कांप उठी हो”
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि धमाका इतना जबरदस्त था कि एक पल को उन्हें लगा जैसे भूकंप आया हो।
“हम सब भागते हुए बाहर निकले और देखा कि फैक्ट्री जल रही है। कुछ लोग अंदर फंसे थे। हम कुछ कर पाते, उससे पहले दूसरी तरफ से फिर एक तेज आवाज़ आई।” – एक स्थानीय दुकानदार
धमाके की वजह से आसपास की दुकानों और घरों को भी नुकसान पहुंचा है।
कुछ मकानों की दीवारों में दरारें आ गई हैं और खिड़कियों के शीशे टूट गए।
जांच की दिशा – क्या कारण था इस हादसे का?
फिलहाल प्राथमिक जानकारी के अनुसार, फैक्ट्री में रखे ज्वलनशील पदार्थों में चिंगारी लगने की आशंका जताई जा रही है।
संभावना यह भी है कि फैक्ट्री में शॉर्ट सर्किट हुआ हो, जिससे विस्फोट हुआ।
फॉरेंसिक टीमें घटनास्थल पर मौजूद हैं और हर कोण से जांच की जा रही है।
विस्फोटक सामग्री की मात्रा और तरीके की भी जांच की जा रही है, ताकि पता चल सके कि कोई मानवीय लापरवाही तो नहीं हुई।
दिलचस्प बात यह है कि कई मामलों में प्रशासन को सच्चाई तक पहुँचने में समय लगता है, जैसा कि हरियाणा के पंचकूला में सामने आया एक ही परिवार द्वारा सामूहिक आत्महत्या के मामले में देखा गया था।
इस तरह की घटनाएं यह भी दर्शाती हैं कि हर दुर्घटना का सच सामने आने में वक्त लगता है, लेकिन समय रहते कार्रवाई ज़रूरी है।
पिछले हादसों से नहीं सीखा सबक?
यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी पटाखा फैक्ट्री में हादसा हुआ है।
इससे पहले भी देश के कई हिस्सों में ऐसे हादसे हो चुके हैं जिनमें दर्जनों जानें जा चुकी हैं।
सुरक्षा नियमों का पालन, फैक्ट्री निरीक्षण और लाइसेंसिंग की सख्ती जैसे मुद्दों पर हमेशा बात होती है, लेकिन हादसे के बाद ही कार्रवाई होती है।
यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या अब समय नहीं आ गया कि प्रशासन पूर्व-सावधानी को प्राथमिकता दे?
स्थानीय लोगों में नाराज़गी – जिम्मेदारी तय करने की मांग
इलाके के लोग साफ तौर पर प्रशासन से नाराज़ नजर आए।
उनका कहना है कि उन्होंने कई बार फैक्ट्री की गतिविधियों पर सवाल उठाए, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
अब जब जानें जा चुकी हैं, तब प्रशासन हरकत में आया है।
स्थानीय लोगों की मांग है कि:
- दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए
- मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिले
- और ऐसे संस्थानों पर सख्त निगरानी रखी जाए
प्रशासन की जिम्मेदारी – लापरवाही पर लगे लगाम
प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जांच पूरी होने के बाद दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा।
घटना की गंभीरता को देखते हुए आगामी सप्ताहों में सभी पटाखा फैक्ट्रियों की जांच की जाएगी, ताकि किसी अन्य हादसे की आशंका को टाला जा सके।
निष्कर्ष
पंजाब का यह हादसा एक कड़वी सीख है कि जब तक हम सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेंगे, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराती रहेंगी।
अब समय आ गया है कि प्रशासन, उद्योग जगत और समाज मिलकर यह तय करें कि किसी की जान की कीमत पर कारोबार नहीं होना चाहिए।
अगर आज ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो कल यह त्रासदी किसी और के दरवाजे पर दस्तक दे सकती है।
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क्या आपको लगता है कि प्रशासन को पटाखा फैक्ट्रियों के लाइसेंसिंग और सुरक्षा मानकों पर और सख्ती करनी चाहिए?
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