बेंगलुरु में एक नाबालिग छात्रा के साथ कथित छेड़छाड़ का गंभीर मामला सामने आया है। छात्रा एक डांस अकादमी में प्रशिक्षण ले रही थी, जहां उसके प्रशिक्षक ने उसे अकेले बुलाकर कार में कथित रूप से अनुचित हरकतें कीं।
आरोप है कि प्रशिक्षक ने उसे करियर में आगे बढ़ाने और प्रशिक्षण के नाम पर निजी मुलाकात के लिए बुलाया था।
छात्रा ने साहस दिखाते हुए इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी अपने परिजनों को दी, जिन्होंने बिना देर किए पुलिस को सूचना दी।
पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया।
आरोपी की पहचान और पृष्ठभूमि
आरोपी एक निजी डांस अकादमी में प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत था और कथित रूप से खुद को इंडस्ट्री से जुड़ा बताता था।
पुलिस जांच में यह सामने आया कि वह अकादमी में कुछ समय से कार्यरत था और पहले भी इस प्रकार के झूठे दावे करता रहा है।
डांस सिखाने की आड़ में भरोसे का दुरुपयोग किए जाने का मामला।
छात्रा की हिम्मत और FIR
इस मामले में छात्रा ने डरने की बजाय अपने परिजनों को घटना की जानकारी दी। इसके बाद स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।
FIR में संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
पीड़िता का बयान इस मामले में अहम सबूत बना।
The 32-year-old dance master approached her near a bank, promising to make her a celebrity dancer and convinced her to get into his car.
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— The Times Of India (@timesofindia) May 30, 2025
पुलिस की कार्रवाई और कानूनी धाराएं
पुलिस ने पीड़िता की शिकायत के आधार पर त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया है।
इस मामले में POCSO अधिनियम और IPC की धारा 354 के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है।
मामले की जांच जारी है और आरोपी से पूछताछ की जा रही है।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर समाज में सवाल
घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या प्रशिक्षण केंद्रों और कोचिंग संस्थानों में बच्चों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित हो पा रही है।
माता-पिता को अब सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि प्रशिक्षकों और संस्थानों की पृष्ठभूमि की भी जांच करनी चाहिए।
सुरक्षित समझे जाने वाले संस्थान भी अब सवालों के घेरे में।
विशेषज्ञ की राय: बच्चों को कैसे जागरूक बनाएं
बाल सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को आत्मरक्षा और सतर्कता की शिक्षा देना समय की जरूरत बन चुकी है।
बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि अगर कोई उन्हें असहज महसूस कराए तो वे तत्काल परिवार या शिक्षक से इसकी जानकारी साझा करें।
हेल्पलाइन नंबर 1098 और 112 बच्चों को बताना जरूरी।
कानून और सामाजिक भूमिका
POCSO जैसे कानून इस तरह की घटनाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन इनका प्रभाव तभी दिखेगा जब समाज सतर्क हो।
सरकारी स्तर पर भी प्रशिक्षण केंद्रों के लिए निगरानी प्रणाली को और सशक्त करने की जरूरत है।
त्वरित न्याय से ही पीड़ितों को वास्तविक राहत मिल सकती है।बाल सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को आत्मरक्षा और सतर्कता की शिक्षा देना समय की जरूरत बन चुकी है। बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि अगर कोई उन्हें असहज महसूस कराए तो वे तत्काल परिवार या शिक्षक से इसकी जानकारी साझा करें।
इसी तरह की जागरूकता अन्य सामाजिक विषयों पर भी जरूरी है — जैसे तंबाकू की लत से जुड़ा खतरा, जो किशोरों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसी विषय पर आप वर्ल्ड नो टोबैको डे 2025: थीम, इतिहास और तंबाकू के खतरे पर हमारा विशेष लेख पढ़ सकते हैं, जो युवाओं में बढ़ती इस समस्या पर गहराई से प्रकाश डालता है।
पाठकों से सवाल
इस घटना से हमें यह समझने की आवश्यकता है कि केवल स्कूल या कॉलेज नहीं, बल्कि सभी प्रकार के संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
आप क्या सोचते हैं — क्या हर निजी प्रशिक्षण संस्थान की नियमित जांच जरूरी होनी चाहिए?
👇 अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर दें।
📌 महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर:
- महिला हेल्पलाइन: 1091
- बाल संरक्षण हेल्पलाइन: 1098
- आपातकालीन सेवा: 112