अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में CNN टाउन हॉल में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को युद्ध की ओर बढ़ने से रोका था और अगर अमेरिका ने हस्तक्षेप न किया होता, तो यह स्थिति एक “परमाणु आपदा” में बदल सकती थी। यह बयान न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि भारत-पाक संबंधों और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका की भूमिका को लेकर एक नई बहस भी शुरू कर रहा है।
ट्रंप का ताजा बयान: क्या कहा उन्होंने?
डोनाल्ड ट्रंप ने CNN टाउन हॉल में अपने पुराने दावे को दोहराते हुए कहा:
“आप व्यापार नहीं कर सकते जब लोग एक-दूसरे पर गोलियां चला रहे हों।”
ट्रंप का इशारा भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर चल रहे तनाव की ओर था। उन्होंने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से बात की और उन्हें समझाया कि युद्ध किसी के भी हित में नहीं है। उनके अनुसार, अमेरिका ने इस हस्तक्षेप के जरिए एक बड़ा संकट टाल दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि जब वह राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने व्यापार के माध्यम से शांति स्थापित करने की कोशिश की। ट्रंप का कहना है कि शांति के बिना न व्यापार संभव है और न ही स्थिरता।
🚨 US President Donald Trump: “We STOPPED what could have become a NUCLEAR disaster between India and Pakistan.”
“We also discussed trade.”
— 🎭 Donald “Delusion” Trump…? pic.twitter.com/uJkrohKPjg
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) May 31, 2025
भारत-पाकिस्तान सीज़फायर का घटनाक्रम
फरवरी 2021 में भारत और पाकिस्तान ने एक साझा बयान जारी करते हुए एलओसी पर सीज़फायर की घोषणा की थी। यह फैसला दोनों देशों के डीजीएमओ (Director General of Military Operations) के बीच हुई बातचीत के बाद आया था।
सीज़फायर से पहले कई महीनों तक दोनों देशों में भारी गोलाबारी होती रही थी, जिसमें सैन्यकर्मी और नागरिक दोनों की जानें गईं। इस घोषणा के बाद एलओसी पर तनाव में काफी कमी आई और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति लौटने लगी।
हालांकि, तब भी यह स्पष्ट नहीं था कि इस सीज़फायर के पीछे कौन-कौन सी कूटनीतिक कोशिशें थीं और अमेरिका की इसमें क्या भूमिका थी।
अमेरिका की भूमिका पर ट्रंप का दावा
ट्रंप ने अपने बयान में कहा:
“यह परमाणु आपदा बन सकती थी।”
उनके अनुसार, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भारत और पाकिस्तान के नेताओं से बातचीत की और दोनों को युद्ध से रोकने में सफलता पाई। दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप के इस दावे को लेकर अमेरिका के भीतर भी आलोचना हुई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने कहा कि “ट्रंप हर चीज़ का श्रेय खुद लेना चाहते हैं” और इस मसले पर उन्होंने भी कुछ ऐसा ही किया।
इस विषय पर हमारी विस्तृत रिपोर्ट यहाँ पढ़ें। ट्रंप पहले भी 2019 में ऐसा ही दावा कर चुके हैं जब पुलवामा हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था。
हालांकि, इन दावों के तथ्यात्मक आधार को लेकर कई सवाल उठते हैं। क्या वास्तव में अमेरिका की सीधी भूमिका थी या यह दोनों देशों की अपनी रणनीतिक समझ थी?
भारत और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया (2019–2021)
2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में बालाकोट स्थित आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी लड़ाकू विमान भेजे और एक भारतीय पायलट को बंदी बना लिया था, जिसे बाद में रिहा कर दिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम में दोनों देशों ने आक्रामक रुख अपनाया था लेकिन साथ ही संयम भी दिखाया। उस समय भी अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से शांति बनाए रखने की अपील की थी, लेकिन यह नहीं कहा गया था कि अमेरिका ने दोनों देशों को रोका।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों की राय
जब ट्रंप ने पहली बार यह दावा किया था, तब भी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस पर संदेह जताया था। कई डिप्लोमैट्स और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान ने सीज़फायर का फैसला अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए लिया था।
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सीज़फायर एक रणनीतिक निर्णय था, न कि ट्रंप के दबाव का नतीजा।
इसके अलावा, यह भी कहा गया कि अमेरिका की भूमिका रही भी होगी तो वह परोक्ष रही होगी, प्रत्यक्ष नहीं।
ट्रंप की चुनावी रणनीति में इस बयान की भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी में जुटे हैं और वे बार-बार अपने पुराने कार्यकाल की उपलब्धियों को उजागर कर रहे हैं। भारत-पाक सीज़फायर को लेकर उनका यह दावा शायद वोटरों को यह संदेश देने की कोशिश है कि वे अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी एक मजबूत नेता रहे हैं।
हालांकि, यह भी देखा जा रहा है कि ऐसे बयान उन्हें विश्वसनीयता के बजाय विवाद में डाल देते हैं।
बयान की सच्चाई और राजनीति
ट्रंप के दावे में सच्चाई है या नहीं, यह कहना कठिन है। हाँ, यह जरूर है कि भारत और पाकिस्तान जैसे दो परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध की स्थिति किसी के भी हित में नहीं है। और किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की भूमिका को पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता।
ट्रंप के दावे से ज्यादा ज़रूरी है भारत और पाकिस्तान की कूटनीतिक समझ।
भारत-पाकिस्तान ने समय-समय पर तनाव के बावजूद शांति बनाए रखने की कोशिश की है और यह दोनों देशों की परिपक्वता को दर्शाता है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों का सहयोग अहम हो सकता है, लेकिन फैसला हमेशा भारत और पाकिस्तान को ही लेना होता है।
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