लोकसभा चुनाव की आहट के बीच सियासी बयानबाज़ी ने नया मोड़ ले लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक जनसभा के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस मिशन का विरोध सिर्फ मुस्लिम वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए किया था।
“जब भारतीय सेना के जवानों को छुड़ाने के लिए ऑपरेशन चलाया गया, तब TMC ने उसका भी विरोध किया, ताकि उनका वोटबैंक नाराज़ न हो।” — अमित शाह
शाह ने ये भी दावा किया कि TMC की नीतियां देश की सुरक्षा और अस्मिता के खिलाफ जाती हैं। इस बयान के बाद TMC और भाजपा के बीच जुबानी जंग और तेज़ हो गई है।
ज्ञान, विज्ञान और आजादी के आंदोलन की प्रेरणा भूमि बंगाल को TMC सरकार ने तुष्टीकरण, अपराध और हिन्दुओं पर हिंसा का अड्डा बना दिया है।
आज कोलकाता में ‘विजय संकल्प कार्यकर्ता सम्मेलन’ में भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद किया। प्रदेश की जनता भी घोटाले और तुष्टीकरण की बुनियाद पर खड़ी ममता… pic.twitter.com/HnOJIaB2Yv
— Amit Shah (@AmitShah) June 1, 2025
TMC की प्रतिक्रिया: सिंदूर को हथियार बनाना शर्मनाक
TMC नेताओं ने अमित शाह के बयान को “सिंदूर की राजनीति” करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता डेरेक ओ’ब्रायन ने इसे महिलाओं की भावनाओं से खेलने वाला बयान बताया। उन्होंने कहा:
“सिंदूर हमारे समाज में महिलाओं के लिए एक भावनात्मक प्रतीक है। उसे चुनावी भाषण का औज़ार बनाना बेहद शर्मनाक है।”
अभिषेक बनर्जी, जो ममता बनर्जी के भतीजे और पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, ने आरोप लगाया कि भाजपा मुद्दों से भटकाने के लिए धार्मिक भावनाओं को हथियार बना रही है। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता अब ऐसे ‘ध्रुवीकरण वाले एजेंडे’ को समझ चुकी है और इसका असर नहीं होने वाला।
👉 “सिंदूर पर राजनीति करने वालों को जनता जवाब देगी।”
TMC is shielding groups like the STSJ gang, issuing Aadhaar cards to illegal migrants for vote-bank politics, inciting violence in Murshidabad, and targeting Hindus in West Bengal.
“TMC is officially HAMAS of India” ?@AITCofficial @BJP4Bengal @MahuaMoitra#Hindus… pic.twitter.com/givK5OdUOq
— Nikhil (@NikhilXacc) May 31, 2025
TMC का पलटवार: सुरक्षा चूक का हिसाब दो
TMC ने इस बयान को लेकर एक और बड़ा सवाल खड़ा किया – जब गृह मंत्री सुरक्षा की बातें करते हैं, तो वो पुलवामा और पहलगाम जैसी घटनाओं की जिम्मेदारी क्यों नहीं लेते? टीएमसी ने आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ चुनिंदा घटनाओं को उठाकर भावनात्मक माहौल बनाती है, लेकिन असली सुरक्षा चूकों पर चुप रहती है। हाल ही में सामने आए राजस्थान में एक सरकारी कर्मचारी के ISI के लिए जासूसी करने के गंभीर आरोप ने भी देश की आंतरिक सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
👉 “जब देश ने अपने 40 से अधिक जवानों को पुलवामा में खोया, तब केंद्रीय गृह मंत्री क्या कर रहे थे?” — TMC
टीएमसी ने शाह से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि अगर वो वास्तव में देशभक्ति की बात करते हैं, तो उन्हें अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।
बंगाल की राजनीति और सिंदूर का प्रतीकात्मक अर्थ
बंगाल की राजनीति में सिंदूर सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। महिलाओं के लिए यह आत्मसम्मान और परंपरा से जुड़ा प्रतीक है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार सिंदूर को एक चुनावी प्रतीक के रूप में उभारा जा रहा है। भाजपा जहां इसे हिंदू अस्मिता से जोड़ रही है, वहीं टीएमसी इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का तरीका बता रही है।
Shameful!
Mamata Banerjee calls #OperationSindoor a “sindoor business.” This is the real face of vote-bank politics—mocking India’s sacrifices.
PM Modi rose from selling tea to leading the nation, guarding it like a true Chowkidar.
And Mamata? She insults our heroes. pic.twitter.com/lEXjPn94ee
— Tushar Kanti Ghosh (@TusharKantiBJP) May 29, 2025
👉 “राजनीति में सिंदूर जैसे प्रतीक भावनाओं को उकसाने का तरीका बनते जा रहे हैं।”
वोटबैंक की राजनीति या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण?
भाजपा का दावा है कि ममता बनर्जी अल्पसंख्यक वोटों को बचाने के लिए हर ऐसे मुद्दे का विरोध करती हैं जो ‘हिंदुत्व’ की छवि को बढ़ावा देता हो।
वहीं, TMC इसे सिरे से नकारते हुए कहती है कि भाजपा धर्म के नाम पर समाज को बांटने का प्रयास कर रही है।
“हम संविधान के अनुसार सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। भाजपा नफरत के बीज बो रही है।” — TMC
जनता के मन में भी अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिकरण भारतीय लोकतंत्र के लिए सही दिशा है?
जनता की प्रतिक्रियाएं और विशेषज्ञों की राय
सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां एक वर्ग अमित शाह का समर्थन करता दिख रहा है, वहीं कई लोग मानते हैं कि राजनीति में सिंदूर जैसी भावनात्मक चीज़ों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुभाष रॉय का कहना है कि:
👉 “यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, ताकि भावनात्मक मुद्दों के ज़रिए वोट हासिल किए जा सकें।”
कई पत्रकारों और महिला संगठनों ने भी इस बयान की आलोचना की है और कहा कि इससे महिलाओं की सामाजिक छवि को ठेस पहुंच सकती है।
आगे क्या?
‘सिंदूर की राजनीति’ का यह मुद्दा पश्चिम बंगाल की सियासत को एक बार फिर गर्मा गया है। जहां भाजपा इसे राष्ट्रवाद और अस्मिता से जोड़ रही है, वहीं TMC इसे ध्रुवीकरण की साजिश बता रही है।
👉 “चुनावों के करीब आते ही हर बार धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल बढ़ जाता है, यह एक चिंताजनक ट्रेंड है।”
अगले कुछ दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस पक्ष को सच मानती है, और किसे सिर्फ बयानबाज़ी।
🗣️ आप क्या सोचते हैं?
- क्या राजनीति में सिंदूर जैसे धार्मिक और भावनात्मक प्रतीकों का इस्तेमाल होना चाहिए?
- क्या यह एक जरूरी मुद्दा है या जनता को गुमराह करने की कोशिश?
👇 नीचे कमेंट करके बताएं कि आप क्या सोचते हैं। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है।