बॉलीवुड अभिनेता सूरज पंचोली ने हाल ही में एक इंटरव्यू में उस भयावह दौर को याद किया जब उन्हें जिया खान की आत्महत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। साल 2013 में यह मामला सामने आने के बाद, सूरज पंचोली पर आरोप लगे कि उन्होंने अभिनेत्री जिया खान को आत्महत्या के लिए उकसाया। करीब 10 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद, अदालत ने उन्हें निर्दोष करार दिया।
लेकिन, सूरज के अनुसार, इस एक दशक ने उनकी मानसिक स्थिति और सामाजिक छवि पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने कहा, “जब आपको पता हो कि आपने कुछ नहीं किया और फिर भी आपको सबसे खतरनाक अपराधियों के साथ रखा जाए, तो वह अनुभव शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।”
जेल का खौफनाक अनुभव: “मैंने अखबार पर रातें गुजारी”
सूरज पंचोली ने खुलासा किया कि जब उन्हें गिरफ्तार किया गया, तो उन्हें सामान्य कैदियों के साथ नहीं बल्कि एकांत कारावास में रखा गया। उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्हें कोई बिस्तर तक नहीं मिला और उन्हें फर्श पर अखबार बिछाकर सोना पड़ा।
उन्होंने कहा, “मैंने अखबार पर एक सप्ताह तक सोया। खाना इतना खराब था कि उसे देखना भी मुश्किल था। और सबसे बड़ी बात – मुझे यह भी नहीं पता था कि मैं कितने समय तक वहीं रहने वाला हूं।”
वो समय सूरज के लिए मानसिक रूप से बेहद कठिन था। परिवार से मिलने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती थी और हर मुलाकात से पहले की सुरक्षा प्रक्रिया उन्हें और भी अधिक मानसिक दबाव में डाल देती थी।
Sooraj Pancholi recalls terrible time in jail: ‘Slept on newspaper, was in the cell where they had put Kasab’ https://t.co/jNQRwVJoNQ
— HT Entertainment (@htshowbiz) May 29, 2025
कसाब वाली कोठरी: सुरक्षा या सजा?
इस इंटरव्यू में सूरज ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने बताया कि उन्हें मुंबई की उसी जेल कोठरी में रखा गया था जहाँ 26/11 मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब को रखा गया था।
उन्होंने कहा, “मैं ‘अंडा सेल’ में था। वहीं कसाब को भी रखा गया था। वहाँ सुरक्षा के नाम पर मुझे एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया गया जहाँ न खिड़की थी, न रोशनी।”
यह एकांतवास सूरज के लिए किसी सजा से कम नहीं था, जबकि उस समय वे केवल आरोपी थे, दोषी नहीं।
10 साल की कानूनी लड़ाई: सामाजिक बहिष्कार और मानसिक आघात
जेल की यातना के बाद भी सूरज की मुश्किलें खत्म नहीं हुईं। जमानत पर रिहा होने के बावजूद समाज और बॉलीवुड ने उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया।
“10 साल तक हर कोई मुझे दोषी मानता रहा,” सूरज कहते हैं, “मैंने कई फिल्में खो दीं, कई लोग मुझसे दूर हो गए। सोशल मीडिया पर रोज मुझे ट्रोल किया जाता था। मेरे पास जवाब नहीं होते थे क्योंकि मामला कोर्ट में था।”
उनके अनुसार, उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रायल का सामना करना पड़ा और हर कदम पर उन्हें खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करनी पड़ी।
न्याय मिलने के बाद क्या बदला?
साल 2023 में कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद, सूरज ने पहली बार खुलकर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने यह भी कहा कि अब वह नए सिरे से जीवन शुरू करना चाहते हैं।
“मैं कोर्ट के फैसले से खुश हूँ, लेकिन जो 10 साल मेरे जीवन से चले गए, क्या वे वापस आएंगे?” सूरज ने सवाल किया।
उन्होंने आगे बताया कि अब वे नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, लेकिन उस दौर की छाया आज भी उन्हें कई बार घेर लेती है।
समाज और सिस्टम से सवाल: क्या हमें किसी को दोषी ठहराने में जल्दी है?
सूरज पंचोली का यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है — क्या हमारा समाज किसी को दोषी साबित होने से पहले ही सज़ा देना शुरू कर देता है?
“मुझे ऐसा महसूस होता था कि मैं जेल में नहीं, बल्कि जनता की अदालत में खड़ा हूँ,” सूरज ने कहा।
इस बयान से स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया और न्यूज मीडिया के दबाव ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया था।
यह मामला यह भी दिखाता है कि जब कोई सेलिब्रिटी किसी कानूनी पचड़े में फंसता है, तो पब्लिक ओपिनियन कैसे उनके करियर और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है।
न्याय के बाद भी क्या रह जाती हैं चोटें?
सूरज पंचोली की यह कहानी न सिर्फ एक अभिनेता की व्यक्तिगत लड़ाई है, बल्कि यह समाज, मीडिया और न्याय प्रणाली के काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाती है।
“मुझे न्याय मिल गया, लेकिन जो मनोवैज्ञानिक ज़ख्म मुझे मिले हैं, क्या वे कभी भर पाएंगे?” उन्होंने अंत में कहा।
आज सूरज पंचोली नए सिरे से जीवन शुरू कर चुके हैं, लेकिन उनका अनुभव आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चेतावनी है कि किसी पर आरोप लगने मात्र से ही उसे अपराधी मान लेना गलत है।
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