ब्रिटेन की एक अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की जमानत याचिका को लगातार 10वीं बार खारिज कर दिया है। अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि अगर उसे रिहा किया गया, तो उसके फरार होने की आशंका बनी रहेगी।
यह फैसला लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सुनाया, जिसमें न्यायाधीश सैम मर्क्रीडिस ने कहा कि नीरव की मानसिक स्थिति की दलीलें पहले भी दी जा चुकी हैं, और उन्हें पहले ही दो बार पूरी तरह खारिज किया जा चुका है।
🔹 कोर्ट की टिप्पणी: ‘ये पहला मौका नहीं है, पहले भी भागने की मंशा दिखी’
नीरव मोदी की बेल याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि:
- नीरव के पास पहले से फरार होने की ठोस योजना थी।
- दो अलग-अलग न्यायाधीशों ने यह माना है कि उसे रिहा करना जोखिम भरा होगा।
- नीरव की बेल शर्तों में पेश की गई सुरक्षा राशियां और निगरानी प्रस्ताव भी पर्याप्त नहीं हैं।
कोर्ट ने ये भी कहा कि नीरव मोदी की मानसिक हालत की दलीलें, ज़मानत पाने का एक तरीका भर हैं, न कि कोई गंभीर कानूनी आधार।
Nirav Modi’s BAIL petition has been REJECTED in London. (CBI) pic.twitter.com/XxZ2rUkjnH
— Lucifer (@krishnakamal077) May 16, 2025
🔹 नीरव मोदी का पक्ष: डिप्रेशन और आत्महत्या का डर
नीरव मोदी के वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि:
- वह गंभीर डिप्रेशन में है।
- आत्महत्या का खतरा भी बताया गया।
- उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया।
लेकिन अदालत ने इन तर्कों को पहले की तरह निराधार मानते हुए खारिज कर दिया।
🔹 भारत प्रत्यर्पण प्रक्रिया: अब तक क्या हुआ है?
नीरव मोदी को 2019 में लंदन में गिरफ्तार किया गया था। भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण के लिए लगातार प्रयासरत है।
- ब्रिटेन की सरकार ने 2021 में प्रत्यर्पण को मंजूरी दी।
- नीरव मोदी ने फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन वह भी खारिज हो चुकी है।
- अब उसका केस यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स तक जा पहुंचा है।
लेकिन जब तक वह बेल पर बाहर नहीं आता, तब तक उसका भागने का खतरा नहीं है – यही कोर्ट की सोच है।
Fugitive diamond merchant Nirav Modi’s latest bail application was rejected by the London High Court. Nirav, who has been imprisoned in London since 2019, is due for extradition to India & has filed 10 bail applications to date#NiravModi #MehulChoksi #Fraud #Diamond #Bail #CBI… pic.twitter.com/3EMSKqlM3O
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18News) May 16, 2025
🔹 न्यायिक प्रक्रिया की अहमियत
यह मामला सिर्फ नीरव मोदी या बैंक घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि:
✔️ न्यायिक प्रणाली का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पालन कितना जरूरी है।
✔️ किसी भी देश का भगोड़ा व्यक्ति कानून से बच नहीं सकता, चाहे वो कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।
➡️ हाल ही में 14 आतंकी हमलों का आरोपी हैप्पी पासिया अमेरिका में गिरफ्तार हुआ है।
✔️ ये फैसला वैश्विक स्तर पर भारत के प्रति न्याय और पारदर्शिता की मांग को मज़बूती देता है।
🔹 मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कोर्ट का रूख
नीरव मोदी की मानसिक स्थिति को लेकर किए गए सभी मेडिकल मूल्यांकन और रिपोर्ट्स को कोर्ट ने पारदर्शी तरीके से जांचा।
- कोर्ट ने माना कि डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं, लेकिन इसका प्रत्यर्पण या बेल पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
- आत्महत्या का खतरा झूठे आधार पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।
यह रुख बताता है कि कोर्ट तथ्यों और प्रमाणों पर ही निर्णय लेती है, न कि भावनात्मक अपीलों पर।
🔹 भारत की उम्मीदें और अगला कदम
भारत सरकार ने नीरव मोदी के खिलाफ कई गंभीर धाराएं लगा रखी हैं:
- पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में ₹13,000 करोड़ से ज्यादा का घोटाला।
- धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज़, और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप।
भारत को उम्मीद है कि इस बार की तरह आने वाले फैसले भी उसके पक्ष में ही होंगे और नीरव मोदी जल्द भारतीय जेल में होगा।
🔹 जनता की नज़र में क्या संदेश जाता है?
इस केस से जनता को कुछ स्पष्ट संदेश मिलते हैं:
- कानून सभी के लिए बराबर है।
- कोई भी घोटाला कर विदेश भाग जाए, तो भी न्याय उसका पीछा नहीं छोड़ता।
- कोर्ट के फैसले राजनीति से प्रेरित नहीं, कानूनी प्रक्रियाओं के आधार पर होते हैं।
🔹 नीरव मोदी को बेल नहीं, सिर्फ इंसाफ मिलेगा
नीरव मोदी को बार-बार ज़मानत न मिलना यह साबित करता है कि भगोड़ों के लिए कानून की कोई नरमी नहीं। मानसिक स्थिति और आत्महत्या के खतरे जैसे दावे अदालत को बहलाने के लिए नहीं चलेंगे।
यह केस सभी अंतरराष्ट्रीय अदालतों के लिए एक मिसाल है कि कैसे किसी व्यक्ति की ताकत, पैसा या रसूख कानून के सामने नहीं टिकता।
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