BREAKING: Trump shakes Xi’s hand for 27 seconds and reduces tariffs (taxes on Americans) from 57% to 47% in exchange for China “promising to work hard on fentanyl,” and reverting their limits on rare earths to where they were before a Trump screwed everything up.
In other words… pic.twitter.com/3jmRpZRNjY
— Brian Krassenstein (@krassenstein) October 30, 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हाल ही में हुई बैठक ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत व्यापार, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग जैसे मुद्दों पर केंद्रित रही। इस बैठक के बाद ट्रंप ने घोषणा की कि वह अप्रैल 2026 में चीन की यात्रा करेंगे, जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में नई दिशा देखने को मिल सकती है।
इस मुलाकात के बाद ट्रंप प्रशासन ने एक और बड़ा फैसला लिया — फेंटानिल पर लगाए गए टैरिफ में 10% की कटौती। फेंटानिल एक अत्यंत खतरनाक नशीला पदार्थ है, जिसका अमेरिका में दुरुपयोग एक बड़ी सामाजिक समस्या बन चुका है।
शी जिनपिंग से बातचीत के मुख्य बिंदु
बैठक के दौरान दोनों देशों ने कई अहम मसलों पर चर्चा की। इन मुद्दों में व्यापारिक संतुलन, तकनीकी सहयोग, और दक्षिण चीन सागर में स्थिरता बनाए रखने जैसे विषय शामिल थे।
मुख्य बिंदु इस प्रकार रहे:
- फेंटानिल टैरिफ में 10% की कटौती का फैसला लिया गया, जिससे औद्योगिक दबाव कम होगा।
- द्विपक्षीय व्यापार समझौते को फिर से बहाल करने की बात हुई।
- टिकटॉक, चिप्स और रेयर अर्थ मटेरियल्स जैसे तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग की संभावना जताई गई।
- ट्रंप ने चीन यात्रा की पुष्टि की और कहा कि यह “दोनों देशों के रिश्तों को नया आकार देगी।”
फेंटानिल पर टैरिफ कटौती: स्वास्थ्य और व्यापार दोनों का संतुलन
फेंटानिल, जो एक सिंथेटिक ड्रग है, अमेरिका में हर साल हजारों लोगों की जान ले रहा है। ट्रंप प्रशासन ने इसे रोकने के लिए चीन से आयात पर ऊंचे टैरिफ लगाए थे।
लेकिन अब 10% टैरिफ कटौती से संकेत मिला है कि अमेरिका समस्या का समाधान सख्त व्यापारिक प्रतिबंधों के बजाय सहयोग के रास्ते से ढूंढना चाहता है।
यह कदम अमेरिकी दवा उद्योग को भी राहत देगा, क्योंकि चीन से आने वाले कई केमिकल कंपोनेंट्स पर लागत का बोझ कम होगा। वहीं, चीन इसे कूटनीतिक सफलता के रूप में देख रहा है।
अप्रैल में चीन यात्रा की घोषणा: नया अध्याय शुरू
ट्रंप ने शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद यह ऐलान किया कि वे अप्रैल 2026 में बीजिंग की यात्रा करेंगे। इस दौरे को दोनों देशों के रिश्तों में “रीसेट मोमेंट” के तौर पर देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा व्यापार समझौते के नए दौर की शुरुआत हो सकती है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य अमेरिका और चीन के बीच “संतुलित साझेदारी” बनाना है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे को पूरक बन सकें।
व्यापार समझौते की संभावनाएं और पुरानी तनावपूर्ण पृष्ठभूमि
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते हमेशा उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। 2018 में ट्रंप प्रशासन ने चीन पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, जिससे ट्रेड वॉर की स्थिति पैदा हुई थी।
अब जब दोनों देशों ने बातचीत फिर से शुरू की है, तो बाजार विशेषज्ञ इसे “आर्थिक स्थिरता की नई शुरुआत” के रूप में देख रहे हैं।
चीन ने भी यह संकेत दिया है कि वह अमेरिकी टेक कंपनियों के निवेश को प्रोत्साहित करेगा और साथ ही रेयर अर्थ मटेरियल्स पर निर्यात सीमाएं धीरे-धीरे कम करेगा।
इस पर अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: अमेरिका ने चीन के साथ ट्रेड डील पर क्या कहा?
TikTok, चिप्स और तकनीकी गठबंधन पर बातचीत
इस बैठक के दौरान TikTok और चिप्स पर भी चर्चा हुई। अमेरिका लंबे समय से डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर चीन पर दबाव बना रहा है।
शी जिनपिंग ने इस पर कहा कि चीन अमेरिकी कंपनियों के लिए समान अवसर और सुरक्षा गारंटी प्रदान करेगा, जबकि ट्रंप ने स्पष्ट किया कि उन्हें “पारदर्शी डिजिटल सहयोग” की उम्मीद है।
टेक सेक्टर में यह बातचीत दोनों देशों के बीच डिजिटल कोलैबोरेशन की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है।
वैश्विक बाजार पर असर
इस बैठक के तुरंत बाद शेयर बाजारों में सकारात्मक रुझान देखने को मिला। एशियाई मार्केट्स में इंडेक्स 1.5% तक ऊपर गए, जबकि अमेरिकी स्टॉक मार्केट ने भी मजबूती दिखाई।
यह दर्शाता है कि निवेशक इस मुलाकात से आर्थिक राहत की उम्मीद कर रहे हैं।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि आने वाले महीनों में ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच यह सहयोग जारी रहा, तो वैश्विक व्यापार प्रणाली स्थिर रह सकती है।
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
भारत के लिए यह स्थिति दोहरी है। एक ओर अगर अमेरिका और चीन के बीच तनाव घटता है, तो वैश्विक सप्लाई चेन फिर से मजबूत हो सकती है, जिससे भारत को अवसर मिलेंगे।
दूसरी ओर, यदि दोनों देश आपस में अधिक सहयोग करने लगते हैं, तो भारत के निर्यात पर प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
इसलिए भारत को अपने “मेक इन इंडिया” और तकनीकी साझेदारी कार्यक्रमों को और आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने की जरूरत है।
विश्लेषण: क्या यह संबंधों का नया दौर है?
ट्रंप की यह पहल कूटनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम आने वाले अमेरिकी चुनावों को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि ट्रंप ने इस बैठक के माध्यम से खुद को एक “शांतिदूत” के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
चीन भी इस मौके का इस्तेमाल अपनी वैश्विक छवि सुधारने में कर सकता है, खासकर ऐसे समय में जब कई पश्चिमी देश उसकी नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।
संवाद से समाधान की राह
डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग की यह बैठक दिखाती है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं फिर से संवाद की राह पर लौट रही हैं।
टैरिफ कटौती, चीन यात्रा की घोषणा और व्यापारिक साझेदारी जैसे कदम न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं।
भविष्य में अगर यह बातचीत ठोस नीतिगत निर्णयों में बदलती है, तो वैश्विक व्यापार और निवेश में स्थिरता लौट सकती है।
फिलहाल इतना तय है कि यह मुलाकात नई आर्थिक दिशा की शुरुआत बन चुकी है।




















